आरयू ब्यूरो
नई दिल्ली। आज सिविल सर्विस डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफसरों को संबोधित करते हुए कई सुझाव दिए। पीएम ने अफसरों को गृहणियों से सीख लेने की जरुरत है। कितनी ही परेशानी क्यों न हो लेकिन गृहणी सब कुछ अच्छी तरह से मैनेज कर लेती हैं। इसके अलावा कश्मीर में सेना पर हो रही पत्थरबाजी को लेकर भी बड़े बयान दिए।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर में बाढ़ आने पर हमारे फौजी लोगों की जान बचाते हैं और लोग उनके लिए तालियां बजाते हैं, लेकिन बाद में हमारे इन्हीं फौजियों पर पत्थर भी बरसाए जाते हैं। इस पर सभी को आत्मचिंतन करने की जरूरत है।
इस अवसर पर नौकरशाहों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है कि कुछ हटकर सोचा जाए। सरकार एक नियामक की जगह सक्षम बनाने वाली इकाई के तौर पर सामने आए। मोदी ने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति सुधार ला सकती है, लेकिन अफसरशाही का काम और जनता की भागीदारी बदलाव ला सकती है।
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हमें सबको एकसाथ लाना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधार के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरुरी है। मुझमें इसकी कमी नहीं है बल्कि थोडी ज्यादा ही है। उन्होंने लोकसेवकों से कहा है कि वे आपस में समन्वय बढाते हुए और एक साथ मिलकर काम करें एवं बदलाव लाएं।
साथ ही यह भी कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या उनका अनुभव एक बोझ बनता जा रहा है?
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देश भर में पसर रही घाटी में पत्थरबाजी की आग, मेरठ में लगे पोस्टर, तो राजस्थान में मारपीट उन्होंने कहा कि अफसरशाही में पद क्रम एक समस्या है, जो कि औपनिवेशिक शासकों से आयी है और उसे मसूरी में छोडकर नहीं आया जाता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की भूमिका बहुत प्रबल है लेकिन पिछले 15 साल में चीजें बदल गयीं हैं। उन्होंने लोकसेवकों से जनता तक पहुंचकर उनके कल्याण के लिए सोशल मीडिया, ई-गवर्नेंस और मोबाइल गवर्नेंस का इस्तेमाल करने के लिए भी कहा।