आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बेहद निचले स्तर पर रहने के बावजूद देश में पेट्रोल व डीजल के दामों में लगातारा बढ़ोतरी का दौर जारी है। सोमवार को दामों में बढ़ोतरी के बाद राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने मोदी सरकार पर एक बार फिर हमला बोला है।
रालोद के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने आज सरकार से जनता का दर्द समझने का आग्रह करते हुए कहा कि देश में कोरोना महामारी के चलते करोड़ों परिवार भुखमरी का दंश झेल रहे हैं, लेकिन सरकार और उनके प्रतिनिधि आज भी पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों की ही सेवा में व्यस्त हैं, जिसका ज्वलंत प्रमाण पिछले 16 दिनों से लगातार बढ़ रही पेट्रोल और डीजल की कीमतें हैं।
…मंहगाई की शक्ल में भी जनता को पड़ रहा झेलना
सुरेंद्र त्रिवेदी ने तर्क देते हुए कहा कि वर्तमान में देश के लगभग 70 प्रतिशत परिवारों को दो जून की रोटी जुटाने में विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ रहा। इन हालात में तेल कंपनियां लगातार पेट्रोल व डीजल के दामों में बढ़ोतरी कर रही हैं, इस बढो़त्तरी का भार वाहन खर्च के साथ-साथ मंहगाई की शक्ल में भी जनता को झेलना पड़ रहा है, क्योंकि माल भाडा़ लगातार बढ़ रहा है। किसानों को सिंचाई की लागत अधिक देनी पड़ती है, जबकि किसी भी फसल का लागत मूल्य भी पाना किसानों के लिए संभव नहीं हो सका है।
किसानों को अधिकार नहीं, तो कंपनियों को छूट क्यों
प्रदेश प्रवक्ता ने सवाल उठाते हुए आगे कहा कि जब देश के किसानों को अपनी फसलों का मूल्य तय करने का अधिकार नहीं है तो इन तेल कंपनियों को स्वयं मूल्य निर्धारण की छूट सरकार ने क्यों दी है। आखिर कारपोरेट घरानों की हर मनमानी के लिए सरकारों की क्या मजबूरी है। इन्हीं घरानों के हजारों करोड़ के ऋण माफ करने में भी सरकारें बेबस रहती हैं।
सरकार तथ्यों के साथ करे दामों में बढ़ोतरी की सीमा का खुलासा
सुरेंद्र त्रिवेदी ने केंद्र व राज्य सरकार से आज मांग करते हुए कहा कि पेट्रोल और डीजल के दामों में बढो़त्तरी की सीमा तथ्यों के खुलासे के साथ निश्चित होनी चाहिए ताकि उसके आगे कंपनियां न जा सके और आम जनता उस सीमा तक मानसिक और आर्थिक रूप से स्वयं को तैयार कर सके। सरकारों को सोचना चाहिए कि आम लोगों की आमदनी रोज नहीं बढ़ती, जबकि सरकारी कार्यशैली के फलस्वरूप खर्च बढ़ जाता है।