आरयू वेब टीम। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के बागी नेताओं ने पार्टी का सिरदर्द बढ़ाना शुरू कर दिया है। टिकट नहीं मिलने से नाराज बीजेपी के कुछ नेताओं ने या तो दूसरी पार्टी का दामन थाम चुनाव में लड़ने का मन बना लिया है या फिर निर्दलीय के रूप में चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। ऐसे नेताओं की शिकायत लगातार बीजेपी कार्यालय पहुंच रही है। भाजपा ने भी ऐसे नेताओं पर लगाम लगाने की हर तरफ से कोशिश शुरू कर दी है।
बागियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए भाजपा ने साफ कर दिया है कि जिन नेताओं ने अब तक नामांकन कर दिया है उन्हें नाम वापस लेना होगा। अगर यह नेता अपना नाम वापस नहीं लेते हैं तो उन्हें छह साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
पहले चरण के 71 सीटों पर हो रहे चुनाव में अब तक आधा दर्जन से अधिक चर्चित चेहरे भाजपा से बगावत कर या तो किसी दूसरे पार्टी का दामन थाम चुके हैं या फिर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा सूत्र भी यह मान रहे हैं कि हां, पार्टी में बागियों का सिलसिला लगातार बढ़ सकता है।
यह भी पढ़ें- बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने जारी कि 27 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट, निशानेबाज श्रेयसी को भी मिला टिकट
भाजपा में बगावत का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि 2015 में पार्टी 157 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन इस बार जदयू के साथ गठबंधन के कारण उसे 110 सीटों पर ही चुनाव लड़ना पड़ रहा। ऐसे में पिछली बार जिन 47 सीटों पर उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे वह इस बार टिकट ना मिलने के कारण नाराज चल रहे थे। ऐसे में उन्हीं में से ज्यादातर नेता दूसरे पार्टी का दामन थाम रहे हैं या फिर निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वर्तमान में देखे तो भाजपा के कई नेताओं का ठिकाना लोजपा बन रहा है। लोजपा ने सार्वजनिक तौर पर यह ऐलान कर दिया है कि वह भाजपा के खिलाफ चुनाव मैदान में नहीं उतरेगी। लोजपा ने तो यहां तक कह दिया है कि उसके उम्मीदवार जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित बिहार और भारत के सपने को साकार करेंगे। ऐसे में भाजपा के ज्यादातर बागी नेता लोजपा का ही दामन थाम रहे हैं।
यह भी पढ़ें- ऐलान: बिहार विधानसभा चुनाव में BJP 121 तो, JDU लड़ेगी 122 सीटों पर चुनाव, नीतीश होंगे NDA के नेता
अब तक भाजपा के कई चर्चित चेहरे लोजपा का दामन थाम चुके हैं जिनमें राजेंद्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया और उषा विद्यार्थी भी शामिल है। यह तीनों भाजपा के पुराने नेता रहे हैं। हालांकि तीनों नीतीश के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अख्तियार करते रहे हैं। इनकी सीटें इस बार जदयू के खाते में चली गई है। ऐसे में इन नेताओं ने लोजपा का दामन थाम लिया है। हालांकि ये नेता अपने चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के साथ लोजपा के संबंध का जरूर बखान करेंगे। अब यह भी देखना होगा कि इन नेताओं के खिलाफ पार्टी क्या कदम उठाती है।