आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में पति का इलाज कराने आई हरदोई की महिला से दरिंदगी करने वाले तीसरे आरोपित को पुलिस आज दोपहर तक भी नहीं पकड़ पाई है। हालांकि एसएसपी ने अलीगंज के चांदगंज निवासी तीसरे आरोपित विनय कश्यप को पकड़ने के लिए तीन टीमें बनाई है।
घटना के 36 घंटे बाद भी फरार आरोपित को लेकर इंस्पेक्टर चौक आईपी सिंह का दावा है कि टीमें विनय की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही है, जल्दी ही उसे भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर हैवानियत भरे कांड में गिरफ्तार किए सरफराजगंज निवासी सुरक्षा कर्मी शिवकुमार और संतोष कश्यप का चलान कर पुलिस ने आज उन्हें जेल भेज दिया।
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उल्लेखनीय है कि हरदोई की एक गरीब तबके की महिला के पति को न्यूरो की शिकायत पर केजीएमयू के शताब्दी वार्ड में भर्ती किया गया था। बुधवार की रात महिला को धोखे से लिफ्ट मेंटिनेंस के कमरे में ले जाकर गार्ड शिवकुमार ने अपने दूसरे गार्ड साथी संतोष और लिफ्ट मैन विनय के साथ गैंगरेप किया था। मशीनों की आवाज के चलते महिला की चीखें भी बाहर नहीं जा सकी। गैंगरेप के बाद हैवान बने आरोपितों ने किसी के सामने मुंह खोलने पर पति-पत्नी को जान से मारने की धमकी भी दी थी।
चार घंटा हैवानों के चंगुल में रही महिला
रात साढ़े दस से डेढ़ बजे तक चले हैवानियत भरे कांड से छूटने के बाद पीडि़त महिला ने गंभीर रूप से बीमार अपने पति के साथ चौक कोतवाली पहुंचकर तीनों दरिंदों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। घटना की जानकारी पर पुलिस ने कल दोनों सुरक्षा कर्मियों को धर दबोचा था, जबकि लिफ्ट मैन हाईटेक पुलिस की तीन टीमों की तलाश के बाद भी पकड़ा नहीं जा सका है।
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पीडि़ता ने मीडिया को बताया कि गरीबी और पति की बीमारी के चलते उसका परिवार पहले ही टूट चुका था, पति के बेहतर इलाज के लिए लखनऊ के बड़े अस्पताल का नाम सुनकर केजीएमयू आई थी, लेकिन यहां उसका सबकुछ लुट गया।
वहीं दूसरी ओर केजीएमयू में आए दिन इंसानियत को शर्मसार करने वालों कांडों से घबराए केजीएमयू प्रशासन ने सिक्योरिटी गार्ड कंपनी मिश्रा और लिफ्ट मैन सप्लाई करने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के साथ ही दस-दस लाख का जुर्माना लगाया है। हालांकि इस सनसनीखेज घटना के लिए केजीएमयू प्रशासन को अपने यहां कार्रवाई के लिए कोई नहीं मिला।
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बताते चलें कि केजीएमयू प्रशासन की ढिलाई के चलते आए दिन केजीएमयू में इंसानियत को तार-तार करने वाले मामले सामने आ रहे हैं, धरती का भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों के आसपास हो रहे कांड आम जनता को तो जख्म दे ही रहे है, साथ ही डॉक्टरी पेशे को भी कलंकित कर रहे हैं।
मामले का सबसे दुखद पहलू यह है कि इससे न तो डॉक्टरों और केजीएमयू के अन्य स्टॉफ में कोई बदलाव देखने को मिल रहा है और न ही केजीएमयू प्रशासन ही लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई कर रहा है।
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फिर चाहे वह पोस्टमॉर्टम हाउस में विकलांग भिखारी की लाश के बदले वसूली का मामला हो या फिर सात महीनों में सैकड़ों लाशों को बिना फ्रिजर के सड़ाने की घटना हो। यह दो मामले तो महज उदाहरण है, केजीएमयू के खाते में ऐसे दर्जनों संगीन मामले दर्ज जिनपर कार्रवाई कर केजीएमयू की इमेज सुधारने के साथ ही जनता के बीच सकारात्मक संदेश देने की जरूरत थी।