आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लंबे समय से बीमार चल रही आशी की बुधवार को मौत हो गई। जिसके बाद लखनऊ चिडियाघर में आशी का बाड़ा सूना हो गया। मादा हिप्पों आशी गर्भवती थी और काफी समय से बीमार चल रही थी। पोस्टमॉर्टम में बच्चे के भ्रूण में संक्रमण होने से मौत होने की बात सामने आई है। देश-विदेश के चिकित्सकों की राय के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका।
चिड़िय़ाघर के उप निदेशक डा. उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि बुधवार दोपहर मादा हिप्पो को उसके बाड़े में मृत पाया गया। वह गर्भवती थी। पांच फरवरी से वह बीमार चल रही थी और भोजन भी नहीं खा रही थी। बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा केंद्र के प्रभारी डा. अभिजीत पावड़े की सलाह ली गई थी। इसके अलावा इलाज के लिए कानपुर और दिल्ली समेत कई चिडियाघरों के पशु चिकित्सकों के भी सुझाव मांगे गए थे। वह 24 साल की थी और पिछली फरवरी से प्रसव नहीं होने के चलते बीमार चल रही थी।
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आशी के पोस्मॉर्टम में यह बात सामने आई है कि गर्भस्थ भ्रूण में संक्रमण की वजह से आशी की मौत हुई है। आशी के गुजर जाने से उसकी देखभाल में लगे स्टाफ में मायूसी है। नवाब वाजिद अली शाह में दो हिप्पो यानी दरियाई घोड़े थे। मादा दरियाई घोड़ा आशी के गर्भवती होने की खबर से दर्शक भी छोटे हिप्पो का इंतजार कर रहे थे अपने गर्भकाल के 240 दिन बाद भी उसे कोई बच्चा नहीं हुआ। जिसका प्रभाव उसके व्यवहार में दिखने लगा।
चिड़ियाघर प्रशासन लगातार कहता रहा कि उसकी स्थिति चिंताजनक है। हम उसका इलाज उसके व्यवहार और लक्षणों के आधार पर कर रहे हैं। वन्यजीवों की चिकित्सा करने की सीमाएं हैं। वह दो महीने तक बीमारी से जूझती रही और आखिकार उसने दम तोड़ दिया। करीब 25 साल तक वह दर्शकों की पसंदीदा बनी रही। प्राणि उद्यान में तीन हिप्पो थे। मादा आशी (24 ), नर धीरज (35) और उनकी संतान आदित्य (5)।