आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दलितों के साथ खाना-खाने पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सीएम समेत पूरी भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है। मायावती ने मुख्यमंत्री के सहभोज को नाटकबाजी करार देते हुए कहा कि यह सभी जानते हैं कि इन सब दिखावटी कामों से ना तो बीजेपी का वर्षों पुराना दलित व पिछड़ा वर्ग-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरा बदलने वाला है और न ही इससे दलित समाज का उत्थान होने वाला है और न ही उनके ऊपर होने वाले जुल्म का ही अन्त होगा।
मायावती ने आज एक बयान जारी करते हुए कहा कि खासकर दलितों के मामले में प्रदेश की योगी सरकार की नीयत व नीति में अगर थोड़ी भी सच्चाई व ईमानदारी होती तो सहारनपुर का जातीय दंगा कभी भी इतना गंभीर रुप धारण नहीं करता।
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मायावती ने यह भी कहा कि वहां आज तक दलितों पर हो रही ज्यादती का सिलसिला भी थम जाता। साथ ही इस दंगे के असली गुनाहगारों को अभी तक गिरफ्तार नहीं करने के अलावा पीडि़तों को राहत नहीं दिलाने से एक बात साफ हो जाती है कि योगी सरकार का दलित-विरोधी रवैया पूरे देश में अन्य बीजेपी सरकारों की तरह ही अन्यायपूर्ण है।
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मायावती ने दलितों की स्थिति को बयान करते हुए कहा कि दलित व अन्य पिछड़ा वर्ग समाज सदियों से उपेक्षित व जातीय हिंसा व द्वेष से पीड़ित और शोषित समाज है। इसके बाद भी आज तक इस समाज के करोड़ों लोग सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक पिछड़ेपन के कारण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। उनको संवैधानिक हक व सुविधाएं मिलनी चाहिए थीं वह उन्हें जातिवादी लोगों के गलत रवैये के कारण नहीं मिल पायी है जबकि सरकारों की जिम्मेदारी बनती है कि उनके साथ न्याय करें।
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यही कारण है कि बसपा के बार-बार ध्यान दिलाने के बाद भी उपेक्षित रहे दलित व अन्य पिछड़ा वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में जो विभिन्न भव्य स्थल/स्मारक व पार्क आदि बनाए गए हैं वे भी सरकारी उपेक्षा का शिकार हैं।
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बताते चले कि बुधवार को योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के दलित बहुल गांव में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण करने के साथ ही दलित चिंतक राम अवध प्रसाद समेत करीब सौ दलितों के साथ जमीन पर सहभोज किया था।