आरयू इंटरनेशनल डेस्क। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक अब मेटा के नाम से जाना जाएगा। इस बात का ऐलान फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने किया है। ये नया नाम अलग पहचान देने और कंपनी की नए सिरे से ब्रांडिंग के लिए उठाया गया कदम बताया जा रहा है। जुकरबर्ग की कंपनी का फोकस अब एक मेटावर्स बनाने पर है जिसके जरिए एक ऐसी वर्चुअल दुनिया का आगाज हो जाएगा, जहां पर ट्रांसफर और कम्युनिकेशन के लिए अलग-अलग टूल का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
2004 में शुरुआत करने वाली सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने बताया कि सोशल मीडिया का नया अध्याय मेटावर्स सोशल कनेक्शन की दुनिया नई राह होगी। ये सामूहिक प्रोजेक्ट है, जो पूरी दुनिया के लोगों द्वारा बनाया जाएगा। साथ ही सबके लिए खुला रहेगा। फेसबुक ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘जिन एप्स इंस्टाग्राम, मैसेंजर और वाट्सएप को हमने बनाया है, उनके नाम वहीं रहेंगे।’ विभिन्न एप और तकनीकों को इस नए ब्रांड के तहत लाया जाएगा, हालांकि कंपनी अपना कारपोरेट ढांचा नहीं बदलेगी। कंपनी के आग्मेंटेड रियल्टी कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि नया नाम मेटावर्स के निर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा।
बताते हैं कि फेसबुक के फॉर्मर सिविक इंटीग्रिटी चीफ समिध चक्रवर्ती ने इस नए नाम का सुझाव दिया गया था, क्योंकि मार्क जुकरबर्ग पहले से ही वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी में भारी निवेश कर रहे थे। ऐसे में उनके लिए अपनी कंपनी का नाम बदल मेटा करना कोई बड़ी बात नहीं थी। अब कंपनी ने नाम बदलने के साथ कई लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोल रही हैं। फेसबुक अपने आप को दोबारा रिब्रांड तो कर ही रहा है, इसके अलावा अब दस हजार के करीब नए लोगों को नौकरी पर रखने की भी तैयारी कर रहा है। ये सभी लोग मेटावर्स वाली दुनिया को बनाने में मदद करने वाले हैं।
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बता दें कि ‘मेटावर्स’ शब्द का प्रयोग तीन दशक पहले डायस्टोपियन उपन्यास में किया गया था, हालांकि फिलहाल यह शब्द सिलिकॉन वैली में चर्चा का विषय है। इस शब्द का इस्तेमाल डिजिटल दुनिया में वर्चुअल और इंटरेक्टिव स्पेस को समझाने के लिए किया जाता है। मेटावर्स दरअसल एक वर्चुअल दुनिया है, जहां एक आदमी शारीरिक तौर पर मौजूद नहीं होते हुए भी मौजूद रह सकता है। इसके लिए वर्चुअल रियल्टी का इस्तेमाल किया जाता है।