आरयू वेब टीम।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता के खिलाफ मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार से सवाल करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने एक्ट की वैधता को कैसे चुनौती दी। यदि चुनौती देनी ही है तो ममता एक आम नागरिक की तरह चुनौती दें। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इसमें कोई शक नहीं है इन मामलों पर विचार करना जरूरी है।
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इसके साथ ही इस पूरे मामले पर उच्चतम न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार केंद्र के संसद के कानून को कैसे चुनौती दे सकता है ऐसा ही रहा तो कल को केंद्र राज्य सरकार के कानून को चुनौती देने लगेगा।
सरकार कानून को चुनौती देने की बजाए याचिका में संशोधन करें। वहीं ममता सरकार की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि इससे कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि वो कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए याचिका में संशोधन करेंगे।
मालूम हो कि विभिन्न योजनाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने के साथ ही इसे मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट से जोड़ने के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं आई हैं। इनमें से एक याचिका में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने सोशल वेलफेयर योजनाओं के लिए आधार की अनिवार्यता को चुनौती दी है।
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इसके साथ ही मोबाइल नंबर को आधार कार्ड से अनिवार्य रूप से लिंक करने को लेकर एक और याचिका पर सुनवाई होगी। वकील राघव तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दूर संचार मंत्रालय के 16 अगस्त 2016 और 23 मार्च 2017 के नोटिफिकेशन को चुनोती दी है, जिसमें मंत्रालय ने पुराने मोबाइल नंबर के वेरिफिकेशन के लिए और नया मोबाइल नंबर लेने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य से जोड़ने के खिलाफ याचिका लगाई है।