आरयू ब्यूरो, लखनऊ। हजरतगंज में हुए होटल लिवाना अग्निकांड को लोग भूले भी नहीं थे कि गुरुवार को हजरतगंज के प्रिंस कांप्लेक्स में आग लगने से हड़कंप मच गया। आग जिस समय लगी उस बिल्डिंग की एक कोचिंग में छात्र भी पढ़ने पहुंचे थे, हालांकि समय रहते छात्रों के अलावा वहां मौजूद अन्य लोगों ने भागकर अपनी जान बचाई।
सूचना पाकर मौके पर हजरतगंज समेत इंदिरानगर, चौक व आलमबाग फायर स्टेशन की गाडि़यों के साथ पहुंचे फायर ब्रिगेड ने तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। घनी व वीआइपी इलाके की बिल्डिंग में लगी आग की गंभीरता को देखते हुए एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची थी।
आग से कांप्लेक्स के पहले, दूसरे व तीसरे तल पर लाखों की रुपये की लागत से बनें कई कार्यालय में रखा फर्नीचर, कंप्यूटर व अन्य सामान जलकर खाक हो गया, हांलाकि गनीमत की बात यह रही कि आग से कोई जनहानि नहीं हुई है।
जांच में सामने आया है कि बिल्डिंग में आग से निपटने के पर्याप्त इंतजाम ही नहीं थे। इसके साथ ही यह भी साफ हो गया कि लिवाना अग्निकांड के बाद शहर की बिल्डिंगों में आग से निपटने व अपातकालीन समय के निकासी के प्रबंध कराने के अग्निशमन विभाग के तमाम दावे कागजों से आगे नहीं बढ़ सके हैं।
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एफएसओ हजरतगंज ने बताया कि आज सुबह आग कांप्लेक्स के पहले तल पर स्थित आरओ कंपनी के कार्यालय से शुरू हुई थी। जिसके बाद आग ने प्रथम तल के दो कमरों के अलावा दूसरे तल पर बनें दो व तीसरे तल पर बनें तीन कमरों के कार्यालय को अपनी चपेट में ले लिया। तीनों तल पर लगी आग को करीब तीन घंटों के प्रयास के बाद काबू में कर लिया गया था। आग से कोई जनहानि नहीं हुई है। वहीं शुरूआती जांच में यह भी सामने आया है कि संभवता: आग शॉर्टसर्किट से लगी थी। इसके अलावा कांप्लेक्स में आग से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।
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एफएसओ ने यह भी बताया कि इसके लिए कांप्लेक्स को फायर ब्रिगेड की ओर से पूर्व में नोटिस भी दी गयी थी। घटना में कोई घायल नहीं है। मामले की जांच करते हुए आगे की कार्रवाई की जा रही है।
वहीं एलडीए के प्रभारी सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि घटना की जानकारी के बाद उन्होंने मौके का निरीक्षण किया था। बिल्डिंग वैध है। साल 1984 में ही इसका नक्शा पास कराया गया था। एलडीए के रिकॉर्ड के अनुसार भी इसकी पुष्टि हुई है।