हजरतगंज के होटल लिवाना में लगी भीषण आग में चार की मौत, आठ भर्ती, अफसरों की मनमानी-भ्रष्‍टाचार ने फिर निगली बेगुनाहों की जिंदगी

लिवाना अग्निकां होटल मालिक

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। चारबाग होटल अग्निकांड के दोषी इंजीनियर-कर्मियों पर 50 महीने बाद भी आज तक भले ही कार्रवाई नहीं की जा सकी है। इस बीच सोमवार सुबह हजरतगंज क्षेत्र स्थित लग्‍जरी होटल लिवाना सूइट्स में लगी भीषण आग ने दो युवतियों समेत चार और बेगुनाहों की जान ले ली। अवैध तरीके से बनाए गए पांच मंजिला होटल में भीषण आग व धुंए की चपेट में आए आठ लोगों को सिविल अस्‍पताल में भर्ती कराया गया है।

हादसे के बाद जानकारी पाकर मौके पर पहुंचे फायर ब्रिगेड व पुलिस के जवानों ने तेजी दिखाते हुए आग की लपटों व धुंंए के बीच फंसे 24 लोगों को समय रहते बाहर निकाला नहीं तो हादसे की भयावहता और अधिक होती। शाम चार बजे तक चले कठिन रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन के दौरान फायर ब्रिगेड के जवान भी लोगों को बचाने के चक्‍कर में घायल व जहरीले धुंए की चपेट में आने से बीमार पड़ गए।

आग लगने की वजह शॉर्टसर्किट बताई जा रही, हालांकि फायर ब्रिगेड व पुलिस के अन्‍य बिंदुओं पर भी जांच कर रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएम योगी ने पुलिस कमिश्‍नर व मंडलायुक्‍त को घटना की जांच करने के आदेश दिए हैं। इस मामले में अवैध होटल को संरक्षण देने वाले एलडीए के जोनल अफसर, इंजीनियर व कर्मियों की संलिप्‍ता सामने आ रही। वहीं मानकों को दरकिनार कर गैस चेंबर की तरह तैयार किए गए होटल को फायर की एनओसी देने वाले फायर ब्रिगेड के अधिकारियों की गर्दन भी फंसना तय है।

बताया जा रहा है कि आज सुबह करीब सात बजे आग उस समय लगी, जब अधिकतर लोग अपने कमरों में सोए हुए थे। एसी कमरों में ठहरे लोगों को जब तक इसकी भनक लगती तब तक काफी देर हो चुकी थी। मानकों को दरकिनार पूरी तरह शीशों से पैक कर बनाए गए होटल में आग के साथ जहरीला धुंआ फैलने से गैस चेंबर में तब्‍दील हुए कमरों में लोगों का दम घुटने लगा। इस बीच सुबह करीब आठ बजे व उसके बाद फायर ब्रिगेड के बारी-बारी से 15 वाहन और 13 एंबुलेंस मौके पर पहुंची और राहत व बचान कार्य शुरू किया गया।

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घटना के करीब तीन घंटे बाद सीपी लखनऊ एसबी शिरोड़कर ने बताया कि होटल प्रबंधन के रिकॉर्ड के अनुसार 38 से 40 लोग वहां पर रुके थे। जिसमें से पुलिस विभाग के अनुसार 10 लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया है। जहां दो की मौत हो गयी, जबकि सात लोग अभी अस्पताल में भर्ती हैं। एक व्यक्ति को डिस्चार्ज किया गया है। होटल के कमरों में धुआं ज्यादा होने के कारण अभी तक कितने लोग अंदर फंसे हैं बताना मुश्किल है। वहीं करीब चार घंटे के रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन के बाद दो अन्‍य के शवों को फायर ब्रिगेड के जवानों ने बाहर निकाला, जिसके बाद हादसे में जान गंवाने वालों की संख्‍या बढ़कर चार हो गयी।

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घटना के बाद पुलिस कमिश्‍नर लखनऊ, मंडलायुक्‍त लखनऊ, डीएम, एलडीए वीसी समेत पुलिस-प्रशासन से जुड़े अन्‍य  अफसरों ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया। इस बीच डिप्‍टी सीएम ब्रजेश पाठक भी घटनास्‍थल पर पहुंचे और घटना के प्रति अफसोस जताते हुए अग्निकांड के दोषी अधिकारी व कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की बात कही।

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मौके पर पहुंचे फायर ब्रिगेड के जवानों ने मशीनों के सहारे बाहरी शीशों को तोड़ने व लोहे के एंगल को काटकर फायर ब्रिगेड के जवानों ने घंटों की मशक्‍कत के बाद फंसे लोगों को बाहर निकाला। इस बीच आग से झुलसे व धुंए के चलते बेहोश हुए दस लोगों को सिविल अस्‍पताल पहुंचाया गया। जहां जांच के बाद डॉक्‍टरों ने दो लोगों को मृत घोषित कर दिया, जबकि आठ लोगों को भर्ती किया गया है।

होने वाली थी गुरनूर व साहिबा की शादी

हादसे में जान गंवाने वालें चारों युवक-युवतियों की पहचान देर शाम तक कर ली गयी थी। यह चारों लखनऊ के विभिन्‍न इलाकों के निवासी है। जेसीपी कानून-व्‍यवस्‍था ने बताया कि गुरनूर सिंह (28), साहिबा कौर (26), श्राविका संत (18) व अमन गाजी (22) की मौत हुई है। इनके परिजनों ने इनकी शिनाख्‍त की है। गुरनूर व साहिबा की शादी भी होने वाली थी। पुलिस ने शवों को पोस्‍टमॉर्टम के लिए भेजने के साथ ही मामले की जांच कर रही।

होटल मालिकों व मैनेजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज

वहीं रात में हजरतगंज कोतवाली में होटल मालिकों व मैनेजर के खिलाफ आइपीसी की धारा 304 व 308 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। एसएसआइ हजरतगंज दयाशंकर दिृवेदी की तहरीर पर होटल मालिक पवन अग्रवाल उसके बेटे रोहित अग्रवाल के अलावा  राहुल अग्रवाल और होटल मैनेजर सागर श्रीवास्‍तव पर एफआइआर हुई है। पुलिस चारों को गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही।

बीएसएनएल कार्यालय अवैध होटल में बदला 

हादसे के पीछे एक बार फिर एलडीए के प्रवर्तन जोन छह के भ्रष्‍ट अफसर-इंजीनियरों की भूमिका सामने आ रही है। फिलहाल एलडीए के अधिकारी इस बारे में बोलने से बचते हुए अवैध तरीके से बने होटल से जुड़ी पत्रावलियां तलाशने की बात कर रहें हैं, लेकिन आसपास के लोगों ने बताया कि जिस जमीन पर लेवाना होटल बना है उसपर पहले पीके भवन हुआ करता था। पीके भवन की पहचान बीएसएनएल कार्यालय के रूप में होती थी। होटल मालिक ने एलडीए के भ्रष्‍ट तंत्र से सांठ-गांठ कर इसे होटल के रूप में बदल दिया। एलडीए के जिन अफसरों तथा इंजीनियरों को यहां होटल खुलने की जानकारी थी उन्होंने आंखें बंद कर ली। प्राधिकरण के प्रवर्तन जोन के अधिकारियों और इंजीनियरों ने ही इस होटल का निर्माण करवाया। नक्शा न पास होने के बावजूद इन लोगों ने होटल के खिलाफ नोटिस देने से आगे कोई कार्यवाही नहीं की और अब आग लगने की घटना के बाद इनकी फाइलें तलाशी जा रही हैं।

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