अब NCLT ने ठगी के शिकार होम बायर्स के हित में सुनाया फैसला, अंसल के खिलाफ प्राधिकरण सात दिन में दाखिल कर सकेंगे अपील

अंसल का घोटाला

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। होम बायर्स के साथ सुनियोजित ढ़ग से अरबो रुपये की ठगी करने वाले अंसल ग्रुप की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं। अंसल को एकाएक दिवालिया घोषित करने वाले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के विवादित फैसले के बाद संदेह के घेरे में चल रहे लखनऊ विकास प्राधिकरण की पैरवी का संज्ञान लेते हुए अब एनसीएलटी ने ही एलडीए समेत सभी प्राधिकरणों को मामले में पक्षकार बनने की मंजूरी दे दी है। एनसीएलटी के इस फैसले से कंपनी और सरकारी विभागों के अफसर-इंजीनियरों के सिंडिकेट में फंसकर ठगे जा चुके होम बायर्स में राहत मिलने की कुछ उम्‍मीद जागी है।

आज अंसल ठगी कांड की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अभिषेक चौधरी व संजीव कुमार दुबे ने एनसीएलटी के सामने एलडीए व राज्य सरकार का पक्ष रखा। जिसमें एनसीएलटी ने सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए सभी प्राधिकरणों को अंसल मामले में पक्षकार बनने की मंजूरी दे दी है।

साथ ही एनसीएलटी ने प्राधिकरणों को शपथ पत्र के साथ सभी तथ्यों को रिकॉर्ड पर लाने के लिए सात दिनों का टाइम दिया है। मामले की अगली सुनवाई आगामी 15 अप्रैल को होगी।

बिना सुने कह दिया दिवालिया हुआ अंसल

उल्‍लेखनीय है कि एनसीएलटी ने चौंकाने वाला फैसला देते हुए अंसल ग्रुप को दिवालिया घोषित कर इंट्रिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आइआरपी) नियुक्त किया था। इससे अंसल की परियोजनाओं में प्‍लॉट, फ्लैट, विला व व्यावसायिक सम्पत्तियों में निवेश करने वाले हजारों निवेशकों का अरबों रुपया फंस गया है। इनमें कई ऐसे आवंटी हैं, जिन्हें कंपनी ने कागजों में साल 2009 में प्‍लॉट बेचा था, लेकिन अब तक कब्जा नहीं दिया है।

वहीं एनसीएलटी ने संदिग्‍ध तरीके से अंसल एपीआइ ग्रुप को दिवालिया घोषित करने का फैसला सुनाते समय किसी भी सरकारी विभाग को न तो कोई नोटिस दी और न ही पक्ष सुना था और न ही अंसल के सैकड़ों एकड़ बंधक जमीन बेचने पर सरकारी विभाग के जिम्‍मेदार-अफसर इंजीनियरों को इसकी भनक लगी।

अफसर-इंजीनियरों की भू‍मिका संदिग्‍ध

आम जनता के अरबों रुपये के घोटाले के बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सख्‍त कार्रवाई की बात कही थीं। वहीं एनसीएलटी, अंसल, रजिस्‍ट्री कार्यालय व खासकर एलडीए मानचित्र सेल से जुड़े अफसर-इंजीनियरों की भूमिका पूरी तरह से संदिग्‍ध बनी हुई है।

महाठगों के सिंडिकेट के सामने टिकेगी विजलेंस!

इस महाघोटाले की जांच विजिलेंस भी कर रही, लेकिन जांच कहां तक कारगर साबित होगी इस बारे में बायर्स भी साशंकित हैं। अपनी गाढ़ी कमाई बचाने के लिए एकजुट हुए निवेशकों का मानना है कि अंसल ने एलडीए व दूसरे विभागों के साथ मिलकर काफी शातिराना ढ़ग से उन्‍हें लूटा है।

सीएम योगी की सख्‍ती पर जागा एलडीए

वहीं मुख्यमंत्री की सख्‍ती के बाद जागे एलडीए के अफसरों ने अंसल ग्रुप के खिलाफ गोमतीनगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ एनसीएलटी में पैरवी शुरू की।

यह भी पढ़ें- हजारों निवेशकों से अरबों की ठगी पर सीएम योगी नाराज, कहा दर्ज कराएं अंसल ग्रुप पर FIR, दोषी अफसरों पर भी होगी कार्रवाई
बंधक जमीन बिकती रही, सोते रहें जिम्‍मेदार अफसर

गौरतलब है कि अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा हाईटेक टाउनशिप नीति के अनुसार योजना पूर्ण करने के लिए परफार्मेंस गांरटी के रूप में एलडीए के पक्ष में 411 एकड़ भूमि बंधक रखी थीं। जांच में सामने आया है कि अंसल ने अनाधिकृत तरीके से इस बंधक जमीन को भी बेच डाला, लेकिन अंसल को हाइटेक टाउनशिप का लाइसेंस देने वाले एलडीए को भी इसकी भनक नहीं लगी।

किरकिरी के बाद 4500 करोड़ का दावा आया याद

इस मामले में किरकिरी होने व अधिकारियों के गले पर कार्रवाई का फंदा लटकने के बाद एलडीए ने एनसीएलटी में अंसल ग्रुप पर 4500 करोड़ रूपये की देयता का दावा भी अब पेश किया है। इसमें अर्जन, मानचित्र आदि की फीस भी शामिल है।

यह भी पढ़ें- लंदन भागने की फिराक में था अंसल ग्रुप का मालिक प्रणव अंसल, दिल्‍ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लाया गया लखनऊ