हिसाब-किताब वाले बयान पर अब्बास अंसारी को हाई कोर्ट से मिला झटका, चार्जशीट रद्द करने की याचिका खारिज

इलाहाबाद उच्च न्यायालय

आरयू ब्यूरो, लखनऊ/प्रयागराज। विधायक अब्बास अंसारी को बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने विधानसभा चुनाव के दौरान एक रैली में हिसाब-किताब बयान मामले में मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।

साथ ही जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने कहा कि अब्‍बास अंसारी द्वारा एक सार्वजनिक सभा में आपत्तिजनक शब्द जिस संदर्भ और मंशा से बोले गए थे, उसे देखते हुए इस स्तर पर यह नहीं कहा जा सकता कि आइपीसी की धारा 153-ए के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध नहीं बनता है। “धारा 482 सीआरपीसी के तहत शक्ति का दायरा सीमित है, और इसे असाधारण मामलों में प्रयोग किया जाना चाहिए, जहां शिकायत या चार्जशीट किसी भी अपराध का खुलासा नहीं करती है।

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आइपीसी की धारा 153-ए के तहत अपराध आकर्षित होता है या नहीं, यह मुकदमे के दरमियान अभियोजन पक्ष की ओर से पेश साक्ष्य की गुणवत्ता पर निर्भर करेगा, हालांकि इस स्तर पर इस अदालत को चल रही कार्यवाही या चार्जशीट में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला।”

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बता दें कि साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अब्बास अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस दौरान एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने विवादित बयान दिया था। अब्बास ने धमकी भरे अंदाज में कहा था कि सपा की सरकार बनते ही अधिकारियों को यहीं रोककर हिसाब-किताब किया जाएगा। बाद में उनका तबादला कर दिया जाएगा। उनके इस बयान को चुनाव आयोग ने संज्ञान में लिया था।

आयोग ने अब्बास के खिलाफ ऐक्शन भी लिया और मामले में केस दर्ज कराया। एफआइआर के बाद पुलिस ने केस की विवेचना की और अब्बास अंसारी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया। इस चार्जशीट को अब्बास अंसारी की ओर से हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

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