आरयू इंटरटेंनमेंट डेस्क। बॉलीवुड के फेमस एक्टर गिरीश कर्नाड का सोमवार को निधन हो गया। ज्ञानपीठ अवॉर्ड से सम्मानित 81 वर्षीय गिरीश कर्नाड ने लंबी बीमारी के बाद आज बेंगलुरु स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की वजह कि मल्टीपल ऑर्गेन का फेल होना बताया गया है।
एक अच्छे अभिनेता के अलावा गिरीश कर्नाड लेखक, रंगकर्मी और निर्देशक भी थे। उन्हें आखिरी बार बड़े पर्दे पर सलमान खान की फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ में देखा गया था। इससे पहले गिरीश सलमान के साथ ‘एक था टाइगर’ में किए गए अपने दमदार रोल के लिए भी बॉलीवुड के सशक्त अभिनेता के रूप में पहचाने गए थे।
वहीं उनके निधन पर सीएम एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक में तीन दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया है। साथ ही एक दिन का सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गयाा है। 19 मई, 1938 को माथेरान, महाराष्ट्र में जन्में गिरीश कर्नाड के निधन पर आज पीएम मोदी समेत बॉलीवुड व साहित्य के अलावा राजनीतिक व अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने भी शोक जाहिर किया है।
यह भी पढ़ें- दुनिया छोड़ गए सादगी के महान अभिनेता ओमपुरी
गिरीश कर्नाड ने फिल्मों में अभिनय के अलावा नाटक, स्क्रिप्ट राइटिंग और निर्देशन में ज्यादातर समय दिया। उनको बचपन से ही नाटकों में दिलचस्पी थी। उन्होंने स्कूल के समय से ही थियेटर में काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने 1970 में कन्नड़ फिल्म संस्कार से बतौर स्क्रिप्ट राइटर अपने करियर की शुरूआत की थी। इस फिल्म ने कन्नड़ सिनेमा का पहले प्रेजिडेंट गोल्डन लोटस अवॉर्ड जीता था। बॉलीवुड में उनकी पहली फिल्म 1974 में आई जादू का शंख थी।
फिल्म भूमिका के लिए नेशनल अवॉर्ड
गिरीश कर्नाड को 1978 में आई फिल्म भूमिका के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। उन्हें 1998 में साहित्य के प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ अवॉर्ड से नवाजा गया था। गिरीश कर्नाड ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने कर्मशिल सिनेमा के साथ समानांतर सिनेमा के लिए भी जमकर काम किया।
इन पुरस्कार के लिए किए जा चुके थे सम्मानित
– 1972: संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
– 1974: पद्मश्री
– 1992: पद्मभूषण
– 1992: कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार
– 1994: साहित्य अकादमी पुरस्कार
– 1998: ज्ञानपीठ पुरस्कार
इसके अलावा गिरीश कर्नाड को कालीदास सम्मान, टाटा लिटरेचर लाइव लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार और सिनेमा के क्षेत्र में भी ढेर सारे पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं।