आरयू वेब टीम,
इलाहाबाद। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रिंसिपल बनने के लिए टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य अर्हता है, इसके बिना कोई अध्यापक प्रोन्नति पाने का पात्र नहीं है। ये बातें याचिका को लेकर हाईकोर्ट ने कही है।
राहत के लिए याचिका सूबेदार यादव समेत अन्य 54 लोगों की ओर से दाखिल की गई थी। जिसमें 17 मई 2018 के आदेश को चुनौती दी गई थी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने की है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रोन्नति प्रक्रिया रोके जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करते हुए इसे खारिज कर दिया है। टीईटी की महत्ता को समझते हुए हाईकोर्ट ने ये कदम उठाया है।
कोर्ट ने इस मामले में 15 मई 2018 को स्थिति साफ करते हुए कहा था कि एनसीटीई द्वारा 12 नवंबर 2014 को जारी अधिसूचना के क्लाज 4(बी) में स्पष्ट है कि प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक से प्रधानाध्यापक या उच्च प्राथमिक में सहायक अध्यापक अथवा प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति पाने के लिए टीईटी प्राइमरी स्तर या टीईटी अपर प्राइमरी स्तर का पास करना जरूरी है। बिना इसके राहत नहीं दी जा सकती है।
वहीं दीपक शर्मा केस में हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि बगैर टीईटी उत्तीर्ण अध्यापकों को प्रोन्नति देने पर विचार न किया जाए। 15 मई 2018 को आए इस आदेश के बेसिक शिक्षा विभाग ने 17 मई को प्रोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अब तर्क देते हुए कहा है कि विभाग ने प्रोन्नति प्रक्रिया रोकी है इसे रद्द नहीं किया है। इसलिए इस मामले में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता है।
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