अवसाद में फिर गई घर के इकलौते कमाने वाले शिक्षामित्र की जान, शिक्षामित्रों ने की योगी सरकार से न्‍याय की मांग

आरयू ब्‍यूरो,

लखनऊ। समायोजन रद्द होने के बाद से एकाएक जिंदगी की गाड़ी पटरी से उतरने के चलते शिक्षामित्रों की मौतों का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। इसी क्रम में आज कानपुर देहात के राजपुर क्षेत्र निवासी 45 वर्षीय शिक्षामित्र जगदीश कठेरिया ने अस्‍पताल में दम तोड़ दिया।

बताया जा रह है भरे-पूरे परिवार में जगदीश न सिर्फ अकेले कमाने वाले थे, बल्कि बेटी की शादी के लिए उन्‍होंने बैंक से लोन भी ले रखा था। सामायोजन रद्द होने और उसके बाद आमदनी में करीब 75 प्रतिशत की कटौती के चलते वह काफी अवसाद में रहने लगे थे।

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दो दिन पहले हालत बिगड़ने पर उन्‍हें अकबरपुर के एक अस्‍पताल में परिजनों ने भर्ती कराया था, लेकिन तमाम जतन के बाद भी डॉक्‍टर उन्‍हें नहीं बचा सके। वहीं परिजनों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शिक्षामित्र के शव को पोस्‍टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। दूसरी ओर जगदीश के निधन से जहां परिजनों में कोहराम मचा था। वहीं हर कोई बस यहीं सोच रहा था कि अब उनके पत्‍नी, बच्‍चों के अलावा बूढ़े-मां बाप का क्‍या होगा।

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राजपुर की तहसील सिकंदरा के डौडियापुर गांव निवासी जगदीश कठेरिया 2005 से शिक्षामित्र के रूप में कार्यरत थे। वर्तमान में वह प्राथमिक विद्यालय मनावा ब्लाक रसूलाबाद जनपद कानपुर देहात में पढ़ा रहे थे।

पत्‍नी, बच्‍चों व बूढ़ें मां-बाप की फिक्र के साथ लोन के बोझ से हुए अवसादग्रस्‍त

आदर्श समायोजित शिक्षक/शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्‍यक्ष जितेंद्र शाही ने बताया कि जगदीश कठेरिया की तीन बेटियां व एक बेटा है। इसके अलावा घर में उनके बूढ़े मां-बाप है। उन्‍होंने अपनी सबसे बड़ी बेटी की शादी काफी पहले कर दी थी, जबकि दूसरे नंबर की बेटी की शादी कुछ समय पहले ही की थी।

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इसके लिए जगदीश कठेरिया ने अपने पूर्व के वेतन को ध्‍यान में रखते हुए बैंक से लोन भी लिया था, लेकिन सामायोजन रद्द होने के बाद लगभग 39 हजार रुपए का वेतन घटकर दस हजार हो जाने के चलते वह काफी परेशान चल रहे थे। परिवार के छह सदस्‍यों का पेट पालने के साथ ही मात्र दस हजार रुपए की मासिक आमदनी से लोन भी भरने की विकट समस्‍या को लेकर वह अवसाद में चले गए थे।

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योगी सरकार करें न्‍याय, अवसाद से बचें शिक्षामित्र

शिक्षामित्रों के लिए संघर्ष कर रहे जितेंद्र शाही ने घटना को दुखद बताते हुए योगी सरकार से तत्‍काल इस घटना को संज्ञान में लेकर शिक्षामित्रों की स्थिति को मानवता के आधार पर समझते हुए उनके साथ न्‍याय कर उचित कदम उठाने की मांग की है। जिससे कि शिक्षामित्रों की जीवन में आए इस संकट का अंत हो सके।

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साथ ही उन्‍होंने शिक्षामित्रों से हिम्‍मत रखने का आग्रह करते हुए कहा कि शिक्षामित्रों को ऐसे समय में साहस से काम लेते हुए खुद को भी बचाना होगा जिससे कि उनके परिवार का बिखराव न हो सके।