आरयू वेब टीम।
लखनऊ। टीईटी का परिणाम आने के बाद आज उत्तर प्रदेश के डुमरियागंज के भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल ने शिक्षामित्रों का दर्द समझते हुए उनका मुद्दा लोकसभा में शून्य पहर के दौरान पुरजोर उठाया। सांसद ने उत्तराखंड में पास नहीं करने वाले शिक्षामित्रों को मिलने वाली सुविधाओं का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में एक लाख 70 हजार शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद्द होने से उनके परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं।
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इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अब तक लगभग सौ शिक्षामित्रों की मौत भी हो चुकी है। वहीं घर और शादी के लिए बैंकों से लोन लेने वाले शिक्षामित्रों के लिए समस्या उत्पन्न हो गयी है। जबकि भारत सरकार के श्रम एंव रोजगार मंत्रालय द्वारा मजदूरी संकाय अधिनियम 1936 की धाराओं का हावाला देते हुए उन्होंने भारत सरकार से इसपर गंभीरता से विचार करने का अनुरोध किया है।
भाजपा सांसद के इस कदम पर आदर्श समायोजित शिक्षक/शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र शाही ने आभार जताया है। साथ ही उन्होंने बताया कि इस बारे में सांसद से मिलकर उन लोगों ने लोकसभा में मुद्दा उठाने का अनुरोध किया था। उनके अनुरोध को स्वीकारने पर प्रदेश के शिक्षामित्र उनके आभारी रहेंगे।
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वहीं शिक्षामित्रों के संघर्ष के बारे में जितेंद्र शाही ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन रद्द करने के बाद आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में रिट फाइल की थी। जिसमे सात नवंबर को डेट लगी थी और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने 22 दिसंबर की डेट तय की थी। अब शुक्रवार को केस की सुनवाई कोर्ट नंबर 19 में आइटम नंबर 17 पर होगी। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि इस दौरान राज्य सरकार और एनसीटीई की ओर से हलफनामा दाखिल किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के बाद हाईकोर्ट जाने का उड़ाया गया था मजाक
सुप्रीम कोर्ट के बाद हाईकोर्ट में जाने के सवाल पर जितेंद्र शाही ने कहा कि जब हम लोगों ने याचिका हाईकोर्ट में डाली थी तो तमाम लोगों ने इसका मजाक उड़ाया था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हाईकोर्ट जाना बेवकूफी है, साथ ही अन्य प्रकार के आरोप भी लगाए गए थे। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से लौटकर खुद भी कुछ शिक्षामित्र हाईकोर्ट की तरफ आ रहे हैं।