आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को सीएम योगी के मुंबई दौरो पर कटाक्ष किया है। अखिलेश ने कहा कि योगी को भाजपा से जनता के मोहभंग का एहसास हो गया है और अब अपना फर्ज छोड़ वह दूसरे राज्यों में सक्रिय हो गये हैं।
अपने एक बयान में आज अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल का अब एक वर्ष भी नहीं बचा है। जैसे-जैसे चुनाव की घड़ी नजदीक आ रही, मुख्यमंत्री प्रदेश छोड़कर गगनचारी बन गए हैं। कभी हैदराबाद, कभी मुंबई, कभी पश्चिम बंगाल, कुछ दिन पहले बिहार में थे। सपा मुखिया ने कहा कि प्रदेश में सरकारी दायित्वों से मुंह मोड़कर दूसरे राज्यों के दौरों की उनकी सक्रियता यह जताती है कि मुख्यमंत्री को भाजपा से जनता के मोहभंग का एहसास हो गया है। इसके अलावा सपा सुप्रीमो ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के साथ इस तरह की स्थिति शायद ही पहले हुई हो, जिसमें जबानी जमा खर्च से कार्य-व्यापार चलाया गया हो।
कृषि कानून की आड़ में किसानों की जमीन हड़पने का षड़यंत्र
वहीं किसानों पर बात करते हुए अखिलेश ने नये कृषि कानूनों को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि किसान की आय दोगुनी करने का झूठा आश्वासन देने वालों का कृषि कानूनों की आड़ में किसानों की जमीन हड़पने के षडयंत्र को किसान अच्छी तरह समझते हैं। जिसके बाद किसानों का असंतोष आक्रोश बनकर फूट पड़ा है और भाजपा शासित राज्यों के किसान भी आंदोलित हैं।
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समाज बांटने, भ्रम-भय में भाजपा…
हमला जारी रखते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि समाज को बांटने, भ्रम, भय और भ्रष्टाचार की राजनीति में भाजपा की दक्षता और कुशलता के सभी कायल हैं और उसकी सच्चाई से भी अवगत हैं। किसानों के आंदोलन को उलझाने के लिए विपक्ष पर आरोप लगाए जा रहे हैं। साथ ही भाजपा अपने किए को सही ठहराने की हठधर्मी भी पाले है। समाज अब जागरूक और सजग है। उसे कोई भ्रमित नहीं कर सकता है। किसान जवाब और समाधान तत्काल चाहता है। किसानों की आवाज सुनने के बजाय उसको कुचलने की कोई भी क्रिया आत्मघाती होगी। किसान अन्नदाता है उसका सम्मान होगा तभी देश आत्मनिर्भर होगा।
संघर्ष में किसानों के साथ खड़ी है सपा
सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा ने किसान भाइयों के हित में समाजवादी सरकार ने एमएसपी दिलाने के लिए मंडियों की स्थापना और कृषि सुरक्षा वाली संरचना के विस्तार पर कदम उठाए थे, भाजपा ने इनको चौपट करने का काम किया है। समाजवादी पार्टी किसानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ी है। लोकतंत्र में किसानों के साथ अलोकतांत्रिक व्यवहार क्यों किया जा रहा है?