अखिलेश की मतदाताओं से अपील, “नहीं आ रही BSP की एक भी सीट, बेकार न करें अपना वोट”

अखिलेश यादव
फाइल फोटो।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को बीएसपी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी से हटा दिया है। इसे लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने आज पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पर हमला बोला है। साथ ही अखिलेश ने दावा किया है कि बसपा की तीन चरणों में वोटिंग के बाद भी एक सीट आने की संभावना नहीं है और इसीलिए बसपा के परंपरागत वोटर्स को भी सपा और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों को ही वोट करना चाहिए।

अखिलेश ने अपने एक पोस्ट में कहा, बसपा ने अपने संगठन में बड़े बदलाव का जो भी कदम उठाया है वो उनकी पार्टी का आंतरिक विषय है। दरअसल इसके पीछे असली कारण ये है कि बसपा की एक भी सीट आती हुई नहीं दिख रही है, क्योंकि बसपा के अधिकांश परंपरागत समर्थक भी इस बार संविधान और आरक्षण को बचाने के लिए इंडिया गठबंधन को ही वोट दे रहे हैं। इस बात को बसपा अपने संगठन की विफलता के रूप में ले रही है। इसीलिए उनका शीर्ष नेतृत्व संगठन में इतना बड़ा फेर-बदल कर रहा है, लेकिन अब बाजी बसपा के हाथ से निकल चुकी है।

सपा मुखिया ने कहा कि सच तो ये है कि जब बसपा का प्रभाव क्षेत्र होते हुए भी पिछले तीन चरणों में उनकी एक भी सीट नहीं आ रही है तो फिर बाकी के चार चरणों में तो कोई संभावना बचती ही नहीं है। ऐसे में हम सभी वोटरों से अपील करते हैं कि आप अपना वोट खराब न करें और जो बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी के संविधान को बचाने के लिए सामने से लड़ रहे हैं।

इंडिया गठबंधन के उन प्रत्याशियों को वोट देकर जिताएं और संविधान के संग, आरक्षण भी बचाएं, इसीलिए आग्रह है कि संविधान, आरक्षण और अपना मान-सम्मान बचाना है तो अपना वोट सपा को दें या जहाँ इंडिया गठबंधन का प्रत्याशी हो वहां डालकर संविधान और आरक्षण विरोधी भाजपा को हराएं।

यह भी पढ़ें- बसपा नेता आकाश आनंद की रैलियां बिना कारण बताए रद्द

बता दें कि 28 अप्रैल को सीतापुर में जनसभा के दौरान आकाश आनंद के एक बयान के बाद उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को बसपा के अहम पदों से हटा दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि पार्टी में अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, लेकिन पार्टी व मूवमेंट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें- अखिलेश का आरोप, संविधान बदलने को भाजपा ने दिया 400 पार का नारा, सत्ता में आने पर छीन सकते हैं वोट का अधिकार