आरयू वेब टीम। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआइ) बीआर गवई का आज सुप्रीम कोर्ट में आखिरी कार्य दिवस रहा। सीजेआइ बीआर गवई को विदाई देने के लिए शुक्रवार को सेरेमोनियल बेंच बैठी। गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वहीं सीजेआई गवई ने अपने समापन भाषण में कहा, ‘मेरा हमेशा से मानना रहा है कि प्रत्येक पद सत्ता का पद नहीं है, बल्कि राष्ट्र की सेवा करने का अवसर है।’
उन्होंने कहा कि डॉक्टर बीआर अंबेडकर और उनके पिता ने न्याय के बारे में उनकी समझ को दिशा दी, और जहां तक संभव हो, उन्होंने मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक सिद्धांतों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की। साथ ही कहा कि न्यायाधीश और वकील इस पेशे के मूल सिद्धांतों से बंधे होते हैं और उन्होंने हमेशा ‘बार’ को अपना गुरु माना है। उन्होंने कहा, ‘मैंने इस देश और संस्थान के लिए जो कुछ किया है, उसके लिए मैं पूर्ण संतुष्टि और संतोष की भावना के साथ पद छोड़ रहा हूं।’
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दरअसल सीजेआइ बीआर गवई छह महीने और दस दिनों के कार्यकाल के बाद 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। गवई इस पद पर आसीन होने वाले पहले बौद्ध और दूसरे दलित रहे। कोर्ट रूम एक में औपचारिक विदाई पीठ में कई सीनियर वकील मौजूद रहे। वहां मौजूद कई वकील फूलों की पंखुड़ियों को एक पैकेट लाए। उनमें से कुछ वकील ये फूलों की पंखुड़ियां सीजेआइ गवई पर फेंकना चाह रहे थे। वकील कुछ पंखुड़ियां हाथ में भी लिए थे। इसपर सीजेआइ गवई ने कहा, ‘नहीं… नहीं, मत फेंकिए…इसे कोर्ट मास्टर को सौंप दीजिए।’
बता दें कि बीआर गवई (52वें सीजेआइ) दलित समुदाय से दूसरे और बौद्ध धर्म के पहले सीजेआई थे। उनका कार्यकाल 14 मई 2025 से शुरू हुआ था। अगले सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत 23 नवंबर को पदभार लेंगे।




















