आरयू वेब टीम। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख को भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग मामले में राहत मिली है, जहां बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली। हालांकि अभी देशमुख जेल में ही रहेंगे, क्योंकि सीबीआइ ने इस पर दस दिन की रोक की मांग की। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए समय मांगा।
पिछले महीने उन्होंने सीबीआइ की विशेष अदालत के सामने जमानत की याचिका दायर की थी, लेकिन वो खारिज हो गई। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया। वहां से सोमवार को एनसीपी नेता को जमानत तो मिल गई, लेकिन दस मिनट बाद कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी। फिलहाल अभी उन्हें दस दिन और इंतजार करना पड़ेगा। जमानत के आदेश के साथ कोर्ट ने उनको अपना पासपोर्ट जमा करवाने के निर्देश दिए और उनके विदेश जाने पर भी रोक लगा दी गई है।
बता दें कि मार्च 2021 में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई में रेस्टोरेंट और बार से हर महीने 100 करोड़ की वसूली का टारगेट दिया था। इसके लिए उन्होंने सचिन वाजे को काम पर लगाया था। वाजे का नाम एंटीलिया केस में सामने आ चुका है।
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परमबीर का ये भी आरोप था कि वाजे ने देशमुख के लिए 4.70 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे। वहीं मुंबई की एक विशेष अदालत ने 18 नवंबर को देशमुख से जुड़े मामले में बर्खास्त सचिन वाजे को जमानत दे दी थी। वो भी अभी जेल में ही है, क्योंकि एंटीलिया केस, मनसुख हत्याकांड में उनको जमानत नहीं मिली।
दरअसल अनिल देशमुख करीब एक साल से जेल में बंद हैं और उनके जमानत के कई आवेदन खारिज हो चुके हैं। देशमुख को पिछले साल दो नवंबर को गिरफ्तार किया गया था, तब से वो जेल में बंद हैं। कोरोनरी एंजियोग्राफी के लिए अक्टूबर में उनको एक निजी अस्पताल में भी भर्ती करवाया गया।