आरयू ब्यूरो, लखनऊ/प्रयागराज। फूलपुर के पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या करने वाले बदमाशों से उनके परिजानों ने किनारा कर लिया है। हालांकि कानूनी तौर पर परिजनों द्वारा उन्हें बेदखल करने की बात सामने नहीं आयी है। ऐसे में यह भी समझा जा रहा है कि गोली चलाने वाले लवलेश तिवारी, सनी सिंह व अरुण मौर्या के परिजन पुलिस की कार्रवाई से खुद व अपने घरों को बचाने के लिए झूठ तो नहीं बोल रहे, हालांकि पुलिस अभी इस बारे में पड़ताल कर रही हैै। जानकारी के मुताबिक अतीक और अशरफ पर गोली चलाने वाले तीनों आरोपितों का आपराधिक इतिहास भी है।
पुलिस की पूछताछ में आरोपित बताया है की वो बड़ा माफिया बनना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया। सबसे बड़ा सवाल ये है कि तीनों युवकों को एक किसने किया और उन्हें अतीक और अशरफ की हत्या करने की सुपारी और लाखों रुपये के कीमती असलहे किसने दिए? ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि तीनों हत्यारे अलग-अलग जिलों के रहने वाले थे और आपस में पहले का कोई खास संबंध भी होने की बात सामने नहीं आयी हैै। निकाय चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण से जोड़कर भी इस सनसनीखेज हत्याकांड को देखा जा रहा है।
दूसरी ओर इनके परिवारवाले कह रहे हैं कि तीनों ही घर छोड़ चुके थे और उनका परिवार से कोई मतलब नहीं था। हमलावर लवलेश तिवारी पहले भी जेल जा चुका है। शूटर लवलेश तिवारी के पिता यज्ञ तिवारी ने दावा करते हुए कहा है कि हमारा बेटे से कोई लेना-देना नहीं। लवलेश पहले कभी-कभी घर आता था। वह आखिरी बार सात-आठ दिन दिन पहले घर आया था।
इससे पहले भी वो एक मामले में जेल गया था। लवलेश नशा भी करता है। लवलेश के पिता ने कहा कि हमें कोई जानकारी नहीं की वह वहां कैसे पहुंच गया और हमें इससे कोई मतलब नहीं है यह प्रयागराज में कब से है हमें नहीं पता। वो आखिरी बार सात-आठ दिन पहले आया था।
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वहीं इस मामले के दूसरे शूटर सनी सिंह पर कासगंज के कुरारा थाने में 14 मुकदमे दर्ज है। हिस्ट्रीशीटर घोषित होने के बाद से सनी फरार चल रहा था। सनी पिछले करीब पांच साल से अपने घर नहीं आया है। अपने हिस्से की जमीन जायदाद बेचकर चला गया था। सनी के पिता की मौत हो चुकी है। परिवार में मां के अलावा एक भाई है। भाई पिन्टू सिंह चाय-नाश्ते की दुकान चलाता है।
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सनी सिंह के भाई पिंटू सिंह ने कहा कि वह कुछ नहीं करता था और इसके ऊपर पहले से भी मामले दर्ज हैं। साथ ही बताया कि हम लोग तीन भाई थे जिसमें से एक की मृत्यु हो गई। यह ऐसे ही घूमता-फिरता रहता था और फालतू के काम करता था। हम उससे अलग रहते हैं और बचपन में ही भाग गया था।
वहीं पुलिस तीसरे शूटर अरुण मौर्या के घर भी पहुंची। पुलिस के मुताबिक अरुण बचपन से ही घर छोड़कर चला गया था। साल 2010 में ट्रेन में एक पुलिसकर्मी की हत्या में भी इसका नाम आ चुका है। अब अरुण मौर्य दिल्ली की किसी फैक्ट्री में काम करता था।