आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सूबे की राजधानी में अवैध निर्माणों की तेजी से बढ़ती संख्या के बीच लखनऊ विकास प्राधिकरण ने आज पूर्व में सील हुए अवैध निर्माणों की सील खोलने की प्रक्रिया को भी काफी आसान करने का फैसला लिया है। अपना करीब 20 महीने पुराना आदेश पलटते हुए एलडीए ने अवैध निर्माणों की सील खोलने का अधिकार दोनों विहित प्राधिकारियों को दे दिया है, हालांकि अवैध निर्माण की सील खोलने का आदेश जारी करने से पहले विहित प्राधिकारी को एलडीए सचिव से मंजूरी लेनी होगी। एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने आज इस बारे में आदेश भी जारी कर दिया है। इस आदेश के बाद अब इस बात का भी पता लग सकेगा कि प्रवर्तन की टीम ने महीने में कितने अवैध निर्माणों की सील खोली है।
एलडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि प्रवर्तन की टीम शहर में अवैध निर्माण व विपरीत भू-उपयोग से संबंधित प्रकरणों में कार्यवाही करता है। जिसके अंतर्गत विहित प्राधिकारी न्यायालय अवैध निर्माण की सीलिंग के आदेश देता है। जिसके बाद अवैध निर्माणकर्ता सील भवन खोलने के लिए प्रार्थना पत्र देते हैं। अभी तक इन मामलों में प्रार्थना पत्रों का परीक्षण व सील खोलने का आदेश सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी करती थीं।
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इस तरह के कई मामलों में उन्हें लोगों ने बताया है कि उन्होंने अवैध निर्माण का शमन मानचित्र पास करा लिया है। जिसकी सूचना विहित प्राधिकारी न्यायालय को दस्तावेज सहित उपलब्ध करा दी है, लेकिन सील खोलने की कमेटी होने के चले विहित प्राधिकारी सील खोलने का आदेश नहीं दे रहें, जिस वजह से उन्हें न्यायालय के साथ-साथ समिति के अफसर व जोनल अधिकारियों के सामने भी चक्कर लगाना पड़ रहा।
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प्रथमेश कुमार के मुताबिक सील खुलवाने के लिए अलग-अलग पटलों के चक्कर लगाने से जन सामान्य को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने नया आदेश जारी किया है। जिसके तहत अब अवैध निर्माण की सील खोलने के प्रार्थना पत्रों का परीक्षण व निर्णय लेने के लिए विहित प्राधिकारी को अधिकृत किया गया है।
विहित प्राधिकारी को सील खोलने का आदेश जारी करने से पहले सचिव से अवलोकित कराना जरूरी होगा। इसके अलावा सचिव हर महीने सील किये जाने वाले भवनों व सील खोले जाने वाले प्रकरणों की समीक्षा भी करेंगे। समीक्षा में यह भी पता चल सकेगा कि महीने में कितने अवैध निर्माण लखनऊ में प्रवर्तन ने खोले हैं। आज आदेश से पहले इस बात की जानकारी करना एलडीए अफसरों के लिए भी टेढ़ी खीर था।