आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लंबे समय के बाद सितापुर जेल से रिहा हुए समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान यूपी की राजनीति में चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस बीच आजम खान से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उनके घर पर पहुंचकर मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में फिर से हलचल शुरू हो गई। वहीं यूपी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके लिए आंदोलन नहीं किया अब सपा घड़ियाली आंसू बहा रही है।
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लखनऊ में आयोजित प्रेसवार्ता में मीडिया से बातचीत के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने जहां दोनों नेताओं की मुलाकात को सामान्य बताया तो वहीं दूसरी ओर सपा चीफ पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब आजम खान के दुरदिन थे राजनीतिक दुरभावना के कारण उन्हें जेल की सलाखों में भेजा गया था। तो आजम खान के बचाव में समाजवादी पार्टी ने भूलकर भी न कभी धरना दिया न कभी कोई आंदोलन किया। न ही राज्यपाल व राष्ट्रपति से मिलकर कोई प्रत्यवेदन दिया।
आजम खान के सम्मान में आना चाहिए था सड़कों पर
साथ ही स्वामी प्रसाद ने कहा कि स्वाभाविक रूप से समाजवादी पार्टी को आजम खान के सम्मान में सड़कों पर आना चाहिए था। उस समय वे मौन साधे हुए थे, लेकिन जब वे जेल से बाहर आए है। न्यायपालिका ने जमानत पर उन्हें छोड़ा है तो अब घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं इससे क्या फायदा?’ स्वामी प्रसाद मौर्य का अखिलेश यादव पर यह कटाक्ष राजनीतिक तौर पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
भाजपा की चाटुकारिता कर तोड़ा बहुजनों का भरोसा
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व कैबिनेट मंत्री ने लखनऊ में मायावती की रैली को प्रायोजित बताया। उन्होंने कहा- बहन जी ने यह शक्ति प्रदर्शन ईडी-सीबीआइ के डर से किया। उन्होंने कांशीराम जी के मिशन को तिरस्कृत किया। भाजपा की चाटुकारिता कर बहुजन समाज का भरोसा तोड़ा।
मायावती जांच एजेंसी के दबाव में भाजपा की तारीफ कर रहीं। 2027 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा का समर्थन करेंगी। उन्हें अपने ही भतीजे आकाश आनंद पर भरोसा नहीं है। बहुजन समाज के लोग उन पर विश्वास क्यों करें?
भाजपा की रैली थी, बसपा की नहीं
स्वामी प्रसाद ने कहा कि मायावती की रैली बसपा की नहीं, भाजपा की थी। अगर बसपा के कार्यकर्ता वहां मौजूद होते, तो मायावती भाजपा की तारीफ नहीं करतीं। भाजपा के इशारे पर मायावती ने अपने ही संगठन के आत्मसम्मान से समझौता किया है। कांशीराम जी के संकल्प का मजाक उड़ाकर मायावती ने बहुजन समाज को निराश किया। अब बहुजन समाज अपने विवेक से वोट करेगा, न कि मायावती के कहने पर।
साथ ही आरोप लगाते हुए कहा कि रैली ने स्पष्ट किया, मायावती अपने स्वभाव के विपरीत जाकर भाजपा की तारीफ कर रहीं। उन्हें ईडी-सीबीआइ का डर न होता तो इस तरह का बयान कभी नहीं देतीं। ये डर ही उनकी मजबूरी बन गया है। बसपा की इस रैली ने यह स्पष्ट कर दिया कि मायावती अब भाजपा के साथ हैं। यह बहुजन नहीं, भाजपा समर्थित रैली थी।
जिन आकाश आनंद को मायावती ने तीन बार पार्टी से बाहर किया। उन्हें अपने भतीजे पर खुद भरोसा नहीं। ऐसे में बहुजन समाज कैसे भरोसा करेगा? बसपा अब अपने कैडर का भरोसा खो चुकी है। 2027 के विधानसभा चुनाव में जनता उन्हें सबक सिखाएगी।