आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण में जनता से जुड़ी फाइल को खिलवाड़ बनाने का शर्मनाक मामला सोमवार को एक बार फिर उस समय देखने को मिला, जब मकान की रजिस्ट्री के लिए एलडीए के सौ से ज्यादा चक्कर लगा चुकी 65 वर्षीय महिला का धैर्य जवाब दे गया। फूट-फूटकर अधिकारी के सामने रो रही महिला ने कहा कि मकान आवंटित होने के 30 सालों के बाद भी आज तक बाबू द्वारा फाइल गुम होने का बहाना बनाकर उसकी रजिस्ट्री नहीं करवाई जा रही है।
ये था पूरा मामला-
कानपुर रोड योजना के सेक्टर एच निवासी लाजवंती अपने 70 वर्षीय पति जगदीश चंद्र के साथ आज दोपहर एलडीए पहुंची। जहां सचिव से मुलाकात नहीं होने पर उन्होंने व्यवस्थाधिकारी अशोक पाल सिंह से मिलकर अपना दर्द बयान किया। लाजवंती ने बताया कि एलडीए ने 1989 में उन्हें सेक्टर एच में ईडब्लूएस मकान आवंटित किया। जहां वो परिवार के साथ 1990 से रह रही हैं, लेकिन मकान का पूरा पैसा जमा करने के बाद भी आज तक उनके मकान की एलडीए रजिस्ट्री नहीं कर रहा है, पिछले दस सालों के दौरान वो रजिस्ट्री के लिए एलडीए के सौ से ज्यादा चक्कर लगा चुकी हैं, लेकिन योजना से संबंधित बाबू कहते हैं कि उनकी फाइल खो गयी है।
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उन्होंने आगे कहा कि इस दौरान कई बाबू बदल चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी भी बाबू या अधिकारी ने उनके दर्द को नहीं समझा है। हाथों में दवा का पर्चा और जांच रिपोर्ट लिए एलडीए पहुंची लाजवंती ने बिलखते हुए ये भी कहा कि इतने साल बीतने के बाद अब उनकी उम्र और सेहत साथ नहीं दे रही है। इन हालात में अगर उनके मकान की रजिस्ट्री कर दी जाए तो उन्हें एलडीए के चक्कर नहीं लगाने होंगे।
…तो इसलिए गायब कर दी जाती है फाइलें!
यहां बताते चलें कि एलडीए में जनता की फाइलों के साथ लापरवाही और गुम होने के मामले आए दिन सामने आतेे रहते हैं। जानकारों की माने तो एलडीए के कर्मचारी ऐसा जान-बूझकर करते हैं, जिससे कि आवंटी परेशान होकर एक समय बाद खुद ही उन्हें रिश्वत देने के लिए मजबूर हो जाए। इसके अलावा फर्जी आवंटन और गलत तरह के समायोजन व अन्य गड़बडि़यों को भी छिपाने के लिए किसी न किसी बहाने से एलडीए से फाइलें गायब कर दी जाती है।
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लाजवंती के मकान की फाइल गुम हो चुकी है। इसलिए योजना से संबंधित बाबू को जरूरी औपचारिकता पूरी करते हुए डुप्लीकेट फाइल खोलवाकर महिला की रजिस्ट्री कराने का निर्देश दिया गया है। अशोक पाल सिंह, व्यवस्थाधिकारी एलडीए