भारत ने LAC पर तैनात की T-90 विध्‍वंसक टैंक, माइनस 40 डिग्री के तापमान में भी करेगा काम

विध्‍वंसक टैंक
T-90 विध्वंमसक टैंक।

आरयू वेब टीम। भारत और चीन के संघर्ष में पिछले पांच महीनों से व्यस्त भारतीय सेना की बख्तरबंद रेजिमेंट 14,500 फीट से अधिक ऊंचाई पर पूर्वी लद्दाख में सर्दियों के दौरान चीन की किसी भी हरकत से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। चीन के साथ जारी तनाव के बीच चुमार-डोमेचोक इलाके में एलएसी के पास टी-90 और टी-72 विध्‍वंसक टैंकों समेत इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल्स को तैनात किया गया है। इनकी खासियत यह है कि ये नियंत्रण रेखा के पास माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पर काम करने में सक्षम हैं।

मीडिया से बात करते हुए 14 कॉर्प्स के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल अ​रविंद कपूर ने बताया कि ‘फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स’ भारतीय सेना का एकमात्र गठन है जिसने ऐसे कठोर इलाकों में यंत्रीकृत बलों को तैनात किया गया है। टैंक, पैदल सेना से लड़ने वाले वाहनों और भारी बंदूकों को बनाए रखना इस इलाके में एक चुनौती है। क्रू और इक्विपमेंट की तैयारी को सुनिश्चित करने के लिए आज हमारी सभी लॉजिस्टिक तैयारियां पर्याप्त हैं। उन्‍होंने लद्दाख में ठंड काफी कड़ाके की होने वाली है। ठंड के दौरान हमारी तैयारियां पूरी तरहे से नियंत्रण में हैं।

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मेजर जनरल हमारे पास ज्याद कैलरी और न्यूट्रिशन वाला राशन, ईंधन, तेल, कपड़े, हीटिंग अप्लायंस पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं। फिलहाल सेना इन वाहनों के लिए इनके लिए तीन प्रकार के ईंधनों का उपयोग कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की कठोर सर्दियों के दौरान ईंधन जम न जाए।

एक मिनट में आठ गोले दागने में समर्थ

टी-90 को दुनिया के सबसे अचूक टैंक में एक माना जाता है। एक मिनट में आठ गोले दागने में समर्थ यह टैंक जैविक व रासायनिक हथियारों से निपट सकता है। एक हजार हार्स पावर इंजन की क्षमता वाला यह टैंक दिन और रात में लड़ सकता है। इसकी खासियत यह है कि ये 72 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकता है। टी-90 टैंक शुरू में रूस से ही बनकर आए थे। बाद में इनका उन्नत रूप तैयार किया गया।

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