IIT करने वालों के लिए बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने हटाए प्रतिबंध

आईआईटी
प्रतीकात्मक फोटो।

आरयू ब्‍यूरो,

नई दिल्ली। आईआईटी में एडमिशन लेने वालों को आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने दाखिले में ग्रेस मार्क्स को लेकर दायर सभी याचिकाएं खारिज कर आईआईटी, जेईई में होने वाले एडमिशन और काउंसलिंग पर लगाई गई सभी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। साथ ही यह निर्देश भी दिया कि भविष्‍य में आईआईटी से प्रिंटिंग में ऐसी गलती न हो।

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बताते चले सुप्रीम कोर्ट में एक छात्रा ने ग्रेस मार्क्स को लेकर याचिका दाखिल की थी, जिसमें उसने कहा था कि दो गलत जवाब दिए जाने पर सभी छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए जाने चाहिए। भले ही छात्र का जवाब गलत हो, लेकिन उसकी कोशिश की आधार पर उसे मार्क्स मिलने चाहिए। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दाखिले पर रोक लगा दी थी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से कई संस्थानों में दाखिला ले चुके 23,000 छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ था। पहले मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आईआईटी-जेईई की काउंसिलिंग पर रोक लगा दी।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि आईआईटी-जेईई से जुड़ी किसी भी याचिका पर सुनवाई न की जाए। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा और एएम खानविलकर की बेंच ने ये स्टे ऑर्डर जारी किया था।

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उसके बाद मामले की गंभीरता देखते हुए बाद में न्यायमूर्ति अभय मोहन सप्रे और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अवकाशकालीन पीठ ने मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय और आईआईटी मद्रास को फटकार लगाई।

कोर्ट ने पूछा था कि प्रवेश परीक्षा में ऐसे छात्रों को बोनस अंक क्यों दिए गए, जिन्होंने गलत छपे प्रश्‍नों को हल करने का प्रयास ही नहीं किया। दोनों संस्‍थाओं से एक हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा था। जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है।

भविष्‍य में न हो ऐसी गलती

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि इस तरह की गलती फिर से ना हो। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा में फूलप्रूफ मैकेनिज्म बनाएं कि गलत प्रश्‍न ना हो और बोनस अंक देने की बारी ही ना आए। इस पूरे मामले में कोर्ट ने केंद्र से एक हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है।

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