आरयू वेब टीम।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाख अपने नेताओं को जबान पर लगाम लगाने की नसीहतें देते रहें, लेकिन कई नेताओं पर प्रधानमंत्री की बात का असर होता हुआ नहीं दिख रहा है। ताजा मामला बताते चले कि पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष एक बार फिर से अपने विवादित बयान के चलते चर्चा में हैं।
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नॉर्थ परगना जिले में आयोजित एक रैली में को संबोधित करते हुए दिलीप ने कहा कि गुजरात से गोवाहटी, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सभी को ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्रीराम’ बोलना होगा। उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा कि जो इसका विरोध करेंगे उनका इतिहास बनेगा।
घोष के विवादित बयान का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी केंद्र सरकार के नोटबंदी के निर्णय के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दिल्ली में दिए गए तीन दिवसीय धरने के विरोध में बयान दिया था कि हम चाहते तो उन्हें बालों से घसीटकर बाहर निकाल सकते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। जिस पर कोलकाता के टीपू सुल्तान मस्जिद के इमाम ने ममता के खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर फतवा भी जारी किया।
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कई बार दिलीप घोष के ऐसे व्यवहार और बयानबाजी पर उनकी शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। वहीं आरटीआई के तहत लोगों ने इनकी शैक्षिक योग्यता की जानकारी प्राप्त की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार घोष ने बीते साल विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल हलफनामे में झाड़ग्राम पॉलीटेकनिक कालेज से डिप्लोमा हासिल करने का दावा किया था, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई ब्योरा नहीं दिया था।