कॉन्फ्रेंस में बोले CJI चंद्रचूड़, झूठी खबरों के दौर में सच हो गया पीड़ित

झूठी खबरों
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि झूठी खबर के दौर में सच ‘पीड़ित’ हो गया है और सोशल मीडिया के प्रसार के साथ ही हालात ऐसे बन गए हैं कि कई बार जो कुछ कहा या सुना जाता है, उसकी तार्किक आधार पर कभी पुष्टि नहीं की जा सकती। सीजेआई ने कहा, “हम ऐसे युग में रहते हैं जहां लोगों के पास सब्र और सहिष्णुता की कमी है, क्योंकि वे ऐसे नजरिए को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं जो उनके दृष्टिकोण से भिन्न हो।”

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ यहां ‘अमेरिकन बार एसोसिएशन इंडिया कॉन्फ्रेंस’ 2023 में ‘ लॉ इन एज ऑफ ग्लोबलाइजेशन: कन्वरजेंस ऑफ इंडिया एंड वेस्ट’ विषय पर बोल रहे थे। सीजेआइ ने प्रौद्योगिकी और न्यायपालिका द्वारा खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान इसका इस्तेमाल, न्यायिक पेशे के सामने आने वाले मसले तथा अधिक महिला न्यायाधीशों समेत विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखते हुए कहा, ‘‘झूठी खबरों के दौर में सच शिकार हो गया है। सोशल मीडिया के प्रसार के साथ, जो कुछ बीज के रूप में कहा जाता है वह वस्तुतः एक पूरे सिद्धांत में अंकुरित होता है जिसका कभी तर्कसंगत विज्ञान की कसौटी पर परीक्षण नहीं किया जा सकता है।’’

न्यायमूर्ति ने कहा कि भारतीय संविधान वैश्वीकरण का एक प्रमुख उदाहरण है और यह ‘हमारे वैश्वीकरण के युग में प्रवेश करने से पहले से है।” उन्होंने कहा कि जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तब इसके निर्माताओं को संभवतः यह पता नहीं था कि मानवता किस दिशा में विकसित होगी। उन्होंने कहा, “ हमारे पास निजता को लेकर विचार नहीं था, क्योंकि तब इंटरनेट नहीं था। हमारे पास निश्चित रूप से सोशल मीडिया नहीं था।”

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इस दौरान ट्रोलिंग का जिक्र करते हुए सीजेआइ ने कहा कि हम भी इसके अपवाद नहीं। उन्होंने कहा, न्यायाधीशों को भी ट्रोलिंग से नहीं बख्शा जाता है। न्यायाधीश के तौर पर “ हम उन चीजों के अपवाद नहीं हैं जो आप करते हैं। आप ऐसे किसी व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने के खतरे का सामना करते हैं जो आपका नजरिया साझा नहीं करता है।”

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि कोविड-19 के दौरान भारतीय न्यायपालिका ने अच्छी तरह से वीडियो कॉन्फ्रेंस शुरू की और फिर इसका दायरा सभी अदालतों तक बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि महामारी की वजह से शुरू की गई वीडियो कॉन्फ्रेंस ने न्याय का विकेंद्रीकरण किया और “ मुझे लगता है कि इंसाफ की पहुंच का दायरा बढ़ाने के लिए न्याय का यह विकेंद्रीकरण एक महत्वपूर्ण प्रतिमान है।”

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