आरयू वेब टीम। विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत में जगह-जगह कार्यक्रम हो रहे और लोगों को जागरुक किया जा रहा। इस अवसर पर दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘मिट्टी बचाओ आंदोलन’ पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया। इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि, पर्यावरण रक्षा के भारत के प्रयास बहुआयामी रहे हैं। भारत ये प्रयास तब कर रहा है जब क्लाइमेट चेंज में भारत की भूमिका न के बराबर है। उन्होंने कहा कि, विश्व के बड़े आधुनिक देश न केवल धरती के ज्यादा से ज्यादा संसाधनों का दोहन कर रहे हैं, बल्कि सबसे ज्यादा कार्बन एमिशन उन्हीं के खाते में जाता है।
पीएम ने कहा कि, इस साल के बजट में हमने तय किया है कि गंगा के किनारे बसे गांवों में नैचुरल फार्मिंग को प्रोत्साहित करेंगे, नैचुरल फॉर्मिंग का एक विशाल कॉरिडोर बनाएंगे। इससे हमारे खेत तो कैमिकल फ्री होंगे ही, नमामि गंगे अभियान को भी नया बल मिलेगा।
वहीं पीएम मोदी ने सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन की जमकर तारीख की। साथ ही लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं। सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन आज बधाई के पात्र हैं, मार्च में इनकी संस्था ने मिट्टी बचाओ आंदोलन की शुरुआत की थी और 27 देशों से होते हुए उनकी यात्रा 75वें दिन यहां पहुंची।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे संतोष है कि देश में पिछले आठ साल से जो योजनाएं चल रही हैं, सभी में किसी ना किसी रूप से पर्यावरण संरक्षण का आग्रह किया गया। पर्यावरण रक्षा के भारत के प्रयास बहुआयामी रहे हैं। भारत ये प्रयास तब कर रहा है जब जलवायु परिवर्तन में भारत की भूमिका ना के बराबर है।
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पीएम ने कहा कि मिट्टी को बचाने के लिए हमने पांच प्रमुख बातों पर फोकस किया है पहला- मिट्टी को केमिकल फ्री कैसे बनाएं, दूसरा- मिट्टी में जो जीव रहते हैं उन्हें कैसे बचाएं और तीसरा- मिट्टी की नमी को कैसे बनाए रखें, उस तक जल की उपलब्धता कैसे बढ़ाएं। चौथा- भूजल कम होने की वजह से मिट्टी को जो नुकसान हो रहा है, उसे कैसे दूर करें और पांचवा- वनों का दायरा कम होने से मिट्टी का जो लगातार क्षरण हो रहा है, उसे कैसे रोकें।
प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने सीडीआरआइ और इंटरनेशनल सोलर अलायंस के निर्माण का नेतृत्व किया है। पिछले वर्ष भारत ने ये भी संकल्प लिया है कि भारत 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा। पहले हमारे देश के किसान के पास इस जानकारी का अभाव था कि उसकी मिट्टी किस प्रकार की है, उसकी मिट्टी में कौन सी कमी है, कितनी कमी है। इस समस्या को दूर करने के लिए देश में किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड देने का बहुत बड़ा अभियान चलाया गया।
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मोदी ने आगे कहा कि हम कैच द रेन जैसे अभियानों के माध्यम से जल संरक्षण से देश के जन-जन को जोड़ रहे हैं। इस साल मार्च में ही देश में 13 बड़ी नदियों के संरक्षण का अभियान भी शुरू हुआ है। इसमें पानी में प्रदूषण कम करने के साथ-साथ नदियों के किनारे वन लगाने का भी काम किया जा रहा है। इस साल के बजट में हमने तय किया है कि गंगा के किनारे बसे गांवों में नैचुरल फार्मिंग को प्रोत्साहित करेंगे, नैचुरल फॉर्मिंग का एक विशाल कॉरिडोर बनाएंगे।