आरयू इंटरनेशनल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वाड की बैठक में शामिल होने के लिए दो दिवसीय दौरे पर जापान पहुंचे हैं। इस दौरान पीएम ने जापान में प्रवासी भारतीयों को संबोधित भी किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भी मैं जापान आता हूं तो यहां बसे भारतीयों की स्नेह वर्षा बढ़ती ही जाती है। आप में से कईं साथी अनेक वर्षों से यहां बसे हैं। जापान की भाषा, वेशभूषा, संस्कृति और खानपान एक प्रकार से आपके जीवन का भी हिस्सा बन गया है।
मोदी ने कहा कि भारत सौभाग्यशाली है कि उसे भगवान बुद्ध का प्रत्यक्ष आशीर्वाद मिला है। उनके विचारों को आत्मसात करते हुए भारत निरंतर मानवता की सेवा कर रहा है। चुनौतियां चाहे कितनी प्रकार की हो, कितनी बड़ी क्यों न हो, भारत उनका समाधान ढूंढता ही है। कोरोना से दुनिया के सामने सौ साल का सबसे बड़ा संकट पैदा हुआ। ये जब शुरू हुआ तो किसी को पता नहीं था कि आगे क्या होगा। किसी को ये पता तक नहीं था कि इसकी वैक्सीन आएगी भी या नहीं आएग, लेकिन भारत ने उस समय भी दुनिया के देशों को दवाएं भेजीं।
प्रधानमत्री ने कहा कि ये हम लोगों की विशेषता है कि हम कर्मभूमि से तन-मन से जुड़ जाते हैं, खप जाते हैं, लेकिन मातृभूमि की जड़ों से जो जुड़ाव है, उससे कभी दूरी नहीं बनने देते हैं। यही हमारा सबसे बड़ा सामर्थ्य है। आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद जी जब अपने ऐतिहासिक संबोधन के लिए शिकागो जा रहे थे उससे पहले वो जापान आए थे। जापान में उनके मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ा हुआ था। जापान के लोगों की देशभक्ति, लोगों का आत्मविश्वास, स्वच्छता के लिए यहां के लोगों की जागरूकता की उन्होंने खुलकर प्रशंसा की थी।
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इस अवसर पर मोदी ने भारत और जापान को नेचुरल पार्टनर्स बताया। उन्होंने कहा कि भारत की विकास यात्रा में जापान की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। जापान से हमारा रिश्ता आत्मीयता का है, आध्यात्म का है, सहयोग का है, अपनेपन का है। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि आज की दुनिया को भगवान बुद्ध के विचारों पर, उनके बताए रास्ते पर चलने की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि यही रास्ता है जो आज दुनिया की हर चुनौती, चाहे वो हिंसा हो, अराजकता हो, आतंकवाद हो, क्लाइमेट चेंज हो, इन सबसे मानवता को बचाने का यही मार्ग है।