आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ में बुधवार को भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का 14वां दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की। इस दौरान उन्होंने कहा कि कला का जीवन से गहरा संबंध है और भारतीय संगीत की परम्परा के प्रमाण वैदिक काल से ही मिलते हैं। इस विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति का अध्ययन, अध्यापन और शोध इसे दुनिया में विशेष स्थान दिलाएगा। राष्ट्रीय जीवन से प्रेरित शिक्षा ही किसी भी देश के विकास में उचित योगदान दे सकती है।
इस दौरान राज्यपाल ने भारत की संस्कृति को अत्यंत समृद्ध और विविधता पूर्ण बताते हुए कहा कि यहां कलाओं की अनेक परंपराएं हैं। किसी भी देश की संस्कृति और परम्परा ये दो ऐसी महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं, जो राष्ट्र को विशेष पहचान देती हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को संरक्षित करने के लिए संस्कृति को संरक्षित करना बहुत जरूरी है। भारत की सांस्कृतिक परम्परा को पूरे विश्व के लिए आकर्षण का केंद्र बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे अनेक महान रचनाकारों ने आध्यात्म, साहित्य, रस और सौंदर्य के माध्यम से भारतीय कला और दर्शन को अमृत प्रदान किया है।
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इस दौरान राज्यपाल ने उपाधि और पदक प्राप्तकर्ताओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए सभी को दीक्षांत समारोह की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने संगीत संस्थान की स्थापना में योगदान देने वाले पंडित विष्णु नारायण भातखंडे को श्रद्धांजलि देते हुए संगीत को जीवन का अभिन्न अंग बताया और कहा कि प्रकृति के कण-कण में संगीत है। जब वर्षा होती है, नदियां बहती हैं, हवाएं चलती हैं, पक्षी चहकते हैं, इन सब में संगीत है।
159 छात्रों को मिली डिग्री
दीक्षांत समारोह में आज 159 उपाधियां छात्र-छात्राओं को प्रदान की गई। इनमें से स्नातक के 83 परास्नातक के 74 व पीएचडी के दो विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। समारोह में कुल 22 विद्यार्थियों को 29 स्वर्ण, दस रजत और 08 कांस्य सहित 47 पदक दिए गए। 31 छात्रों और 16 छात्राओं को पदक प्रदान किया गया।
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि व संस्थापक स्पिक मैके, पद्मश्री डॉ. किरण सेठ ने अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कठिन परिश्रम और नियमित रियाज की मदद से ही विद्यार्थी अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं। अपने सपनों को पूरा करने के ए यह जरूरी है कि आप निरंतर प्रयास करते रहें और अपनी क्षमताओं को निखारें।