कला एवं सांस्कृतिक के आदान-प्रदान से राज्यों के बीच बढ़ती है सद्भावना: आनंदीबेन पटेल

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आनंदीबेन पटेल। (फाइल फोटो)

आरयू ब्यूरो,लखनऊ। कलाकारों, संगीतकारों तथा विद्वानों को चाहिए कि सांस्कृतिक केंद्रों के माध्यम से वे अपने क्षेत्र की सांस्कृतिक गतिविधियों का आदान-प्रदान करें। इससे प्रत्येक राज्य एक दूसरे की सांस्कृतिक गतिविधियों व हुनर से परिचित हो सकेंगे और बेहतर तालमेल व सद्भावना बढ़ती है।

उक्त बातें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज की अध्यक्ष आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेला के समापन समारोह को वर्चुअली रूप से सम्बोधित करते हुए कही। साथ ही कहा कि उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र ने इस वर्ष शिल्प मेले में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से 37 कला विधाओं के कुल 485 लोक एवं जनजातीय कलाकारों को मंच प्रदान किया है।

वहीं स्थानीय लोक एवं युवा कलाकारों तथा उभरते हुए कलाकरों को उचित अवसर प्रदान करते हुए एक राष्ट्रीय मंच पर अपनी कला को प्रदर्शित कर उनके उत्साह को बढ़ाया है।

देश की विविध व समृद्ध संस्कृति को सीखने, जानने और उसके संरक्षण में भागीदार बनने की अपील करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि जीवन को समृद्ध बनाने वाली विभिन्न लोक कलाएं और परम्पराएं हमें विरासत में मिली हैं। हमें अपने पूर्वजों से मिली इस सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान प्रकट करना चाहिये और अपनी भावी पीढ़ी के लिये इनके संरक्षण में योगदान देना चाहिये। भारतीय संविधान के अन्तर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपनी मिश्रित संस्कृति वाली समृद्ध विरासत को समझे और उसकी रक्षा करे।

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राज्यपाल ने कहा कि हमारे प्रत्येक राज्य की बेमिसाल सांस्कृतिक विरासत और अलग पहचान है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज भारतीय संस्कृति के संरक्षण, संवर्द्धन, प्रचार-प्रसार तथा अभिलेखीकरण के महत्वपूर्ण कार्य के प्रति समर्पित है। उन्होंने कहा कि वास्तव में कला एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान से राज्यों के मध्य बेहतर ताल-मेल और सद्भावना बढ़ती है। विभिन्न लोक कलाएं परम्पराएं जीवन को समृद्ध बनाती हैं और ये हमें विरासत में मिली हैं।

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