आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। मायावती के आज जारी किए बयान पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाण्डेय ने जमकर निशाना साधते हुए सवाल उठाया है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बसपा सुप्रीमो की परिवारवादी परिभाषा हास्यास्पद के साथ ही राजनीतिक अवनति वाली भी है। मायावती को पूरी बसपा में अपने भाई के अलावा कोई भी ईमानदार कार्यकर्ता ही नहीं मिला? क्या मायावती को बसपा में भाई को छोड़कर सभी बिकाऊ और संदेहास्पद ही दिख रहे हैं।
आने वाले समय में बसपा होगी इतिहास की बात
प्रदेश अध्यक्ष ने अपने एक बयान में कहा कि बसपा सुप्रीमो द्वारा पार्टी में नेतृत्व शून्यता की स्वीकारोक्ति और जोड़-तोड़ के गठबंधन की इच्छा के प्रकटीकरण से बसपा का यथार्थ समझा जा सकता है। पार्टी में नेतृत्व शून्यता की पूर्ति हेतु अपने भाई का चयन राजनीतिक पराभव है, आने वाले समय में बसपा इतिहास की बात होगी।
दलितों का वोट बैंक मानकर उनके वोटों का सौधा करती हैं मायावती
डॉ. महेंद्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि दलितों को वोट बैंक मानकर उनके वोटों का सौदा धन्ना सेठों से कर टिकट बेचने वाली मायावती के पैसे की भूख को दलित वर्ग अच्छी तरह जान चुका है। 2012, 2014 और 2017 के चुनावों में जनता द्वारा नकारी जा चुकी बसपा सुप्रीमो जातिवादी, तुष्टीकरण, विघटनकारी, परिवारवादी घृणित राजनीति के साथ आज भी काम कर रही है। वर्तमान निकाय चुनाव और आने वाले लोकसभा चुनाव बसपा के अस्तित्व को समाप्त कर देंगे। जिसके बाद भाई-बहन आय से अधिक संपत्ति से विपत्ती की ओर बढेंगे।
सपा-कांग्रेस के परिवारवाद पर बसपा सुप्रीमो को बोलने का हक नहीं
वहीं मायावती के आज कांग्रेस और सपा को परिवारवाद वाली पार्टी करार दिए जाने पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अपने भाई की ताजपोशी की तैयारी शुरू कर चुकी बसपा सुप्रीमो को सपा व कांग्रेस के परिवारवाद पर बोलने का हक नहीं है। तीनों पार्टियों का ही एजेंडा है भ्रष्टाचार, परिवारवाद का पोषण और भाजपा विरोध।
भाजपा और मीडिया को कोसने से नहीं बहुरेंगे दिन
वहीं बीजेपी के साथ ही मीडिया को भी मायावती के आज निशाना बनाने पर महेंद्र पाण्डेय बोले कि भाजपा और मीडिया को कोसने से बहिन जी के दिन बहुरने वाले नहीं हैं। दलित वर्ग भली भांति दलित शोषण की सपा-बसपाई जुगलबंदी को समझ चुके है और अब वह अन्त्योदय पथ पर भाजपा के साथ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में देश और प्रदेश जातिवाद, भ्रष्टाचार, अपराध, तुष्टीकरण और वंशवाद की राजनीति के समापन के लिए निकल पड़ा है। निकाय चुनाव के नतीजे सपा-बसपा-कांग्रेस के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगा देंगे।
बताते चलें कि बसपा सुप्रीमो ने आज प्रदेश कार्यलय पर पदाधिकारियों के साथ चुनाव समीक्षा बैठक करने के साथ ही भाई व भतीजे की पार्टी में भूमिका पर सफाई देने के साथ ही एक बयान जारी कर भाजपा, सपा, कांग्रेस के साथ ही मीडिया पर भी सवाल उठाएं थे।