आरयू ब्यूरो,लखनऊ। भ्रष्टाचार के एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस एन शुक्ला पर मुकदमा चलाने की मंजूरी सीबीआइ को मिल गयी है। उनपर अपने आदेशों के जरिये एक निजी मेडिकल कॉलेज को फायदा पहुंचाने का आरोप है।
एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि सीबीआइ ने भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत इस साल 16 अप्रैल को सेवानिवृत्त न्यायाधीश पर मुकदमा चलाने के लिए हाई कोर्ट से मंजूरी मांगी थी। उच्च न्यायालय के मंजूरी देने के बाद सीबीआइ अब सेवानिवृत्त न्यायाधीश के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर सकती है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायाधीश शुक्ला के अलावा एजेंसी ने प्राथमिकी में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आई एम कुद्दुसी, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के भगवान प्रसाद यादव तथा पलाश यादव, ट्रस्ट और निजी व्यक्तियों भावना पांडेय और सुधीर गिरि को भी नामजद किया है।
आरोपितों के खिलाफ आइपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश रचने) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि एक अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिए, ट्रस्ट द्वारा प्राथमिकी में नामित एक आरोपितों को अवैध रूप से भुगतान किया गया था।
बताया गया कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने लखनऊ, मेरठ और दिल्ली में कई स्थानों पर तलाशी ली। यह आरोप लगाया गया है कि प्रसाद इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज को मई 2017 में घटिया सुविधाओं और आवश्यक मानदंडों को पूरा न करने के कारण छात्रों को प्रवेश देने से रोक दिया गया था, साथ ही 46 अन्य मेडिकल कालेजों को भी इसी आधार पर प्रतिबंधित कर दिया गया था।
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उन्होंने कहा कि डिबार के फैसले को ट्रस्ट ने एक रिट याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद प्राथमिकी में नामजद लोगों ने साजिश रची और अदालत की अनुमति से याचिका वापस ले ली। अधिकारियों ने कहा कि 24 अगस्त, 2017 को उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष एक और रिट याचिका दायर की गई थी। बताया गया कि प्राथमिकी में आगे आरोप लगाया गया कि याचिका पर 25 अगस्त, 2017 को न्यायमूर्ति शुक्ला की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की गई और उसी दिन एक अनुकूल आदेश पारित किया गया।