बोगीबील ब्रिज: उद्घाटन में न बुलाए जाने पर छलका पूर्व PM का दर्द, बोले मेरे योगदान को पहचानेंगे लोग

बोगीबील ब्रिज

आरयू वेब टीम। 

असम में डिब्रूगढ़ के पास बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर देश के सबसे लंबे रेल-सह-सड़क पुल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार को किए जाने के दौरान नहीं बुलाए जाने से आज पूर्व प्रधानमंत्री का दर्द छलका है।

पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि बोगीबील ब्रिज की आधारशिला उन्‍होंने रखी थी, लेकिन इसे पूरा करने में 21 साल लग गए। मैं क्या कर सकता हूं, लेकिन मुझे उद्घाटन के समय आमंत्रित भी नहीं किया गया, जिससे मैं कम से कम परेशान हूं। हालांकि उन्‍होंने संतोष जताते हुए आगे ये भी कहा कि क्षेत्र के लोग मेरे योगदान को पहचानेंगे।

बताते चलें कि कल पुल के उद्धाटन के दौरान अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली यूपीए सरकार पर इस पुल के निर्माण में देरी करने का आरोप लगाते हुए जोरदार हमला बोला था। साथ ही उन्‍होंने इसका श्रेय लेते हुए कहा कि एनडीए सरकार ने 16 सालों बाद अटल जी के सपनो को पूरा किया है।

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वहीं प्रधानमंत्री के इस आरोप के बाद बोगीबील ब्रिज के निर्माण का श्रेय लेने की होड़ सी मच गई है। दूसरी ओर कांग्रेस भी अपनी उपेक्षा से नाराज है। खास बात यह है कि 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए हर परियोजना में सभी पार्टी श्रेय लेने कोशिश में जुट गई है।

गौरतलब है कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बना, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह पुल अरूणाचल प्रदेश के विभिन्‍न जिलों के लिए कई तरह से मददगार होगा। डिब्रूगढ़ से शुरू होकर इस पुल का समापन असम के धेमाजी जिले में होता है। यह पुल अरुणाचल प्रदेश के भागों को सड़क के साथ-साथ रेलवे से भी जोड़ेगा। असम समझौते का हिस्सा रहे बोगीबील पुल को 1997-98 में मंजूरी दी गई थी। ऐसा माना जा रहा है कि यह पुल अरूणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास रक्षा गतिविधियों में भी समय आने पर एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

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