आरयू वेब टीम।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के आरोपों से सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने क्लीनचिट देते हुए कहा है कि उनके खिलाफ कोई ‘ठोस आधार’ नहीं मिला। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद कई महिला वकील और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन किया। किसी भी प्रकार की अवांछित स्थिति पैदा न हो इसके लिए कोर्ट परिसर के आसपास धारा 144 लगा दी गई है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि महिला के सम्मान और न्याय के लिए यह लड़ाई है। सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शनकारियों ने महिला को न्याय दिलाने के लिए नारेबाजी भी की। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कथित पीड़िता के बयान को गंभीरता से नहीं लिया गया। जैसा कि किसी भी तरह के प्रदर्शन के लिए शीर्ष अदालत के बाहर इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है, लिहाजा दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और आगे बढ़ने से रोकने के लिए क्षेत्र में धारा 144 लगा दी।
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यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने कोर्ट की आंतरिक समिति द्वारा सोमवार को उन्हें क्लीन चिट दिए जाने पर कहा कि वह ‘बेहद निराश और हताश’ हैं। उन्होंने कहा कि भारत की एक महिला नागरिक के तौर पर उनके साथ ‘घोर अन्याय’ हुआ है और उनका ‘सबसे बड़ा डर’ सच हो गया तथा देश की सर्वोच्च अदालत से न्याय की उनकी उम्मीदें पूरी तरह खत्म हो गई हैं। महिला ने प्रेस के लिए एक बयान जारी कर कहा कि वह अपने वकील से परामर्श कर आगे के कदम के बारे में फैसला करेंगी।
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बता दें कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई भी एक मई को समिति के समक्ष पेश हुए थे और उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया था। नोटिस में कहा गया है कि आंतरिक समिति को शीर्ष अदालत के पूर्व कर्मचारी की 19 अप्रैल, 2019 की शिकायत में लगाये गये आरोपों में कोई आधार नहीं मिला।
इन्दिरा जयसिंह बनाम शीर्ष अदालत और अन्य के मामले में यह व्यवस्था दी गयी थी कि आंतरिक प्रक्रिया के रूप में गठित समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी। आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार ही दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश ने यह रिपोर्ट स्वीकार की और इसकी एक प्रति संबंधित न्यायाधीश, प्रधान न्यायाधीश को भी भेजी गयी।