आरयू वेब टीम।
लोकसभा चुनाव 2019 के बीच वीवीपैट पर्चियों की ईवीएम से मिलान की याचिका मामले में विपक्षी पार्टियों को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर झटका लगा है। टीडीपी नेता चन्द्रबाबू नायडू और कांग्रेस सहित 21 विपक्षी पार्टियों की पुनर्विचार याचिका पर फिर से विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी पार्टियों की इस याचिका को खारिज कर दिया है।
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मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट न साफ कहा है कि हम दखल देने को तैयार नहीं हैं और हम आपको सुनने के लिए बाध्य नहीं हैं। सुनवाई के दौरान विपक्षी पार्टियों के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कम से कम 25 या 33 फीसदी तक ईवीएम- वीवीपैट मिलान की दरख्वास्त की थी, लेकिन कोर्ट ने कहा कि पिछले आदेश में सुधार की जरूरत नहीं है।
क्या हैं पहले का आदेश?
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने आठ अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि याचिका में जो मांग की गई है, उससे मौजूदा मिलान प्रक्रिया 125 गुणा बढ़ जाएगी। ये पूरी तरह अव्यवहारिक होगा, लेकिन फिर भी हम इस दलील से सहमत हैं कि चुनाव प्रक्रिया को ज्यादा विश्वसनीय बनाने की कोशिश करनी चाहिए, इसलिए ये आदेश देते हैं कि हर विधानसभा क्षेत्र से पांच ईवीएम मशीनों का वीवीपैट की पर्चियों से मिलान करवाया जाए।
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पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि वीवीपैट पर्चियों के मिलान में सिर्फ दो प्रतिशत की वृद्धि पर्याप्त नहीं होगी और इससे न्यायालय के आदेश से पहले की स्थिति में बहुत अधिक बदलाव नहीं आएगा। इसलिए, याचिकाकर्ता मेरिट के आधार पर अपनी दलीलों में सफल रहे हों लेकिन उनकी यह सफलता उनकी शिकायत का समाधान नहीं करती है। याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत की पहले की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा है कि उसने कहा था कि ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों में औचक मिलान की प्रक्रिया में दो प्रतिशत की वृद्धि से चुनाव प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने का मकसद पूरा नहीं होगा।
नायडू का चुनाव आयोग को पत्र
वहीं आज ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर हर सीट से 50 फीसदी ईवीएम मशीनों के वीवीपैट से मिलान की मांग की है। आपको बता दें कि पहले हर विधानसभा क्षेत्र से एक ईवीएम के नतीजों का मिलान वीवीपैट के पर्चियों से कराया जाता था।