CM योगी को पत्र लिखकर प्रियंका ने किसान, गरीब व मजदूर की मदद के लिए दिए सुझाव

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आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। कोरोना संकट के बीच बुधवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक बार फिर लेटर लिखा है। अपने इस लेटर में प्रियंका ने गरीब मजदूर, किसान सहित अन्‍य वर्गों के लोगों की तकलीफ का जिक्र करते हुए इनकी मद्द करने के लिए सीएम योगी को कई सुझाव भेजें हैं। योगी को लिखे गए पत्र की शुरुआत में कांग्रेस महासचिव ने सीएम योगी के पिता के निधन पर शोक जताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है।

साथ ही कहा कि “कोरोना महामारी से पूरा जनजीवन प्रभावित है। हर वर्ग के ऊपर भयंकर आर्थिक मार पड़ी है। किसान, गरीब और मजदूर वर्ग विकट स्थिति में पहुंच गए हैं। आर्थिक संकट ने मध्य वर्ग और सामान्य नौकरीपेशा लोगों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। कारोबारी और व्यापारी वर्ग के ऊपर अस्तित्व बचाने का संकट खड़ा हो गया है। इन वर्गों की मदद करना अनिवार्य हो गया है। इस संदर्भ में आपको मैं कुछ सुझाव भेज रही हूं। आशा है आपकी सरकार इन पर ध्यान देगी और जल्द ही निर्णय लेगी”।

प्राइवेट स्‍कूलों की फीस माफी की घोषणा एक बड़ी राहत

ग्‍यारह प्‍वाइंट में दिए गए सुझाव में प्रियंका ने कहा कि शिक्षा और घर के लोन का खर्च मध्य वर्ग की आर्थिक बुनावट का एक बड़ा हिस्सा होता है। मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए कि मध्य वर्ग इस आर्थिक संकट से कितना प्रभावित है। ऐसे में प्राइवेट स्कूलों की फीस माफी की घोषणा उनके लिए एक बड़ी राहत होगी। ऐसे समय में जब एक तरफ छंटनी हो रही है और तनख्‍वाहों में कटौती हो रही है मध्यवर्ग के लिए घर के लोन की ईएमआइ चुकाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। “मुझे लोगों से लगातार संदेश आ रहे हैं कि इस संदर्भ में सरकार को मध्य वर्ग की मदद के लिए आगे आना चाहिए। प्रियंका ने कहा कि मेरा सरकार को सुझाव है कि घर के लोन पर लगने वाली ब्याज दर को शून्य प्रतिशत कर दिया जाय व ईएमआइ जमा करने की बाध्यता को अगले छः महीनों के लिए स्थगित किया जाय”।

किसानों के ट्यूबवेल व बिजली बिल किए जाए माफ

वहीं किसानों की समस्याओं पर कांग्रेस महासचिव ने लिखा है कि किसानों के लिए बिजली की बढ़ी हुई दरें चिंता का विषय बनी हुई हैं। और उनका सुझाव है कि किसानों के चार महीनों के ट्यूबवेल तथा घर के बिजली बिल माफ किए जाए। उनके बकाया बिजली बिलों पर भी पेनल्टी व ब्याज माफ किए जाए। साथ ही किसानों के लोन पर भी चार महीने का ब्याज माफ करने की मांग की है। इस दौरान उन्‍होंने उनके किसान क्रेडिट कार्ड तथा अन्य लोन पर कटी हुई आर-सी पर तुरंत रोक लगायी जाए और उस पर भी पेनल्टी और ब्याज माफ किया जाए। जबकि जगह जगह से फसलों की खरीद में आ रही समस्या पर प्रियंका गांधी ने पत्र में मांग की है कि किसानों की सम्पूर्ण फसल खरीदने की गारंटी की जाए। गन्ना सहित सारे भुगतान तुरंत किए जाएं।

…दी जाए प्रोत्‍साहन राशि

इसके अलवा शिक्षा मित्र, आशा बहनें, आंगनबाड़ी कर्मी, रोजगार सेवक/पंचायत मित्र व अन्य संविदा कर्मी जो कोरोना संकट में हर स्तर पर अपनी जि‍म्मेदारी निभा रहे हैं और स्थानीय प्रशासन के साथ सरकार के निर्देशों का पालन करवाने में जी-जान से लगे हैं। इनकी सेवाओं को देखते हुए यह उचित समय है कि इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रोत्साहन राशि दी जाए और एक महीने की सैलरी बोनस के रूप में दी जाए जिससे वो अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें तथा और अधिक मेहनत व लगन से काम करें।

उत्‍तर प्रदेश की रीढ़ की हड्डी हैं छोटे मंझोल उद्योग

कांग्रेस नेता ने आगे अपने पत्र में लिखा है कि छोटे और मंझोले उद्योग उत्‍तर प्रदेश की आर्थिक रीढ़ हैं। लाखों परिवारों की रोजी-रोटी इनसे जुड़ी हुई है। आज ये भयंकर दबाव में हैं। मांग और आपूर्ति पूरी तरह से ठप्प है। इन उद्योगों के मालिक और मजदूर पूरी तरह से टूटने के कगार पर आ चुके हैं। इसलिए मुख्यमंत्री से गुजारिश की है कि छोटे मंझोले उद्योगों का बैंक लोन माफ किया जाए। लोन माफी के फैसले से ये दिवालिया होने से बच जाएंगे। इनके बिजली के बकाया बिलों पर भी उदारतापूर्वक विचार कर उन्हें राहत देने की घोषणा की जाए।

बुनकर परिवार को दी जाए प्रति माह 12 हजार क्षतिपूर्ति राशि

बुनकरों की स्थिति पर प्रियंका गांधी ने लिखा है कि पूरे प्रदेश में एक बड़ी आबादी बुनकरी से जुड़ी हुई है। इस महामारी में उनका पूरा कारोबार चौपट हो गया है। हैंडलूम और इनके कारखाने बंद पड़े हैं। न ही उत्पादन हो रहा है और न कोई बिक्री। इनके ऊपर बैंकों का भारी कर्ज है। बिजली का बिल भुगतान करने की स्थिति नहीं है। बुनकरों को तत्काल राहत पहुंचाने की जरूरत है। बुनकरों के बिजली के बिल माफ किया जाए और प्रत्येक बुनकर परिवार को प्रति माह 12 हजार रुपया क्षतिपूर्ति राशि दिया जाए, जबकि प्रदेश के कालीन उद्योग पर भयानक मार पड़ी है। लाखों परिवारों की आजीविका इस उद्योग से जुड़ी है। कालीन की बिक्री बिल्कुल बंद है। बुनाई-कटाई भी ठप्प है। कालीन कारोबारियों और कारीगरों को आर्थिक मदद की सख्त जरूरत है। इनके बैंक कर्ज माफ किये जाएं।

लखनऊ चिकन उद्योग में लगे हर परिवार…

इतना ही नहीं लखनऊ चिकन उद्योग ने देश-विदेश में यूपी का नाम रोशन किया है। नोटबंदी और जीएसटी की मार झेल रहे चिकन उद्योग को इस तालाबंदी के चलते भारी चोट लगी है। उन्होंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है कि चिकन उद्योग में लगे हर परिवार को न्यूनतम 12 हजार रुपया प्रति माह दिया जाए ताकि वे जीवन-यापन कर सकें।

पोल्ट्री कारोबारियों को प्रति मुर्गी सौ रुपया का आर्थिक सहयोग

वहीं प्रदेश का हेचरी उद्योग संकट से गुजर रहा है। अंडे और मुर्गे की सप्लाई बंद है। प्रदेश में ज्यादातर पोल्ट्री फार्म कर्ज लेकर लोगों ने खोले थे। अब उनपर दोहरी मार पड़ी है। एक तरफ पूरा बिजनेस चौपट हो गया दूसरे तरफ बैंकों का कर्ज का बोझ। महासचिव ने सुझाव दिया है कि प्रत्येक पोल्ट्री कारोबारियों को प्रति मुर्गी सौ रुपया का आर्थिक सहयोग किया जाए।

घरेलू और लघु उद्योग इनकी होनी चाहिए समी‍क्षा

योगी को लिखे लेटर में प्रियंका ने कहा कि उत्तर प्रदेश का कांच उद्योग, पीतल उद्योग, फ़र्नीचर उद्योग, चमड़े का उद्योग, होजरी उद्योग, डेयरी, मिट्टी बर्तन उद्योग, फिशरी, अन्य घरेलू और लघु उद्योग सभी को तेज झटका लगा है। इनकी समीक्षा होनी चाहिए ताकि इन्हें फिर से शुरू करने में आर्थिक मदद की जा सके। उन्होंने सुझाव दिया है कि इनके बैंक कर्ज माफ किए जाए। साथ ही लघु और कुटीर उद्योगों के लिए बुनियादी और जरूरी कदम उठाएं की मांग करते हुए उन्‍होंने आगे कहा कि लॉकडाउन की मार झेल रहे इन उद्योगों के पास अब इतनी आर्थिक क्षमता नहीं है कि वो लंबे समय तक खड़े रह पाएं।

ये कमजोर हुए तो होगा प्रदेश का नुकसान

छोटे व्यापारियों की मदद करना हर नजरिए से बहुत आवश्यक हो गया है। यह सिर्फ उनके व्यापार व परिवार की भलाई की बात नहीं नहीं है बल्कि यूपी की अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये प्रदेश के आर्थिक जीवन के मजबूत स्तंभ हैं। ये कमजोर हुए, ये गिरे तो नुकसान प्रदेश का होगा। इन्हें संभालने के लिए हमें और आपको आगे आना ही होगा।

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