आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पशु मेलों और इंटर स्टेट एनिमल ट्रांसफर पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई हैं। सीएम योगी की अगुवाई में हुई उच्चस्तरीय बैठक में मंगलवार को यह निर्णय लिया गया हैं। पशुओं में लंपी वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते यह कदम उठाएं हैं। साथ ही राज्य में लंपी वायरस से पशुओं के बचाव के लिए मिशन मोड़ में टीकाकरण चलाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा कोरोना के 75 दिवसीय अमृत डोज पर भी फोकस करने के निर्देश दिए हैं।
योगी ने कहा कि प्रदेश में गोवंश पर लंपी वायरस का दुष्प्रभाव देखने को मिला है। इस संक्रमण के कारण कई राज्यों में व्यापक पशुधन हानि हुई है। प्रदेश में इसके प्रसार को रोकने के लिए हमें मिशन मोड में काम करना होगा। स्थिति सामान्य होने तक प्रदेश में पशुमेलों का आयोजन स्थगित रखा जाए। अंतरराज्यीय पशु परिवहन पर रोक जाए। पशुपालकों को संक्रमण के लक्षण और उपचार के बारे में पूरी जानकारी दी जाए। गोआश्रय स्थलों में अनावश्यक लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाए।
सीएम ने कहां कि लंपी वायरस से सुरक्षा के लिए पशु टीकाकरण का विशेष अभियान चलाया जाना जरूरी है। टीके की उपलब्धता के लिए भारत सरकार से भी सहयोग प्राप्त होगा। यह मक्खी और मच्छर से फैलने वाला वायरस है, ऐसे में ग्राम्य विकास, नगर विकास और पशुपालन विभाग परस्पर समन्वय से गांव व शहरों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाए। संक्रमित पशु की मृत्यु की दशा में अंतिम क्रिया पूरे मेडिकल प्रोटोकॉल का साथ कराया जाए। किसी भी दशा में संक्रमण का प्रसार न हो।
561 नए कोरोना मरीजों की पुष्टि
इसके अलावा यूपी में 24 घंटे में 68 हजार से अधिक टेस्ट किए गए और 561 नए कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई। इस दौरान 388 लोग रिकवर भी हुए। प्रदेश में कोविड की डेली पॉजिटिविटी रेट में भी गिरावट देखने को मिल रही है। डेली पॉजिटिविटी रेट 1.6 प्रतिशत कम होकर आठ प्रतिशत हो गई हैं। फिलहाल एक्टिव केस की संख्या चार हजार 463 है। इनमें चार हजार 101 लोग घर पर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
बढ़ रही मौसमी बीमारियां
वहीं बैठक में बरसात के मौसम में संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ने पर जरूरी कदम बढ़ाने पर जोर दिया गया हैं। अस्पतालों में दैनिक ओपीडी के रिकार्ड बताते हैं कि वायरल और मौसमी बीमारियां बढ़ रही हैं। स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा तत्काल सभी सरकारी अस्पतालों, सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेजों में दवाओं की उपलब्धता, डॉक्टरों की उपस्थिति, जांच उपकरणों की कार्यशीलता की जांच कर ली जाएं। डॉक्टर समय से ओपीडी में बैठें।