आरयू वेब टीम। अविभाजित आंध्र प्रदेश के अंतिम मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी शुक्रवार को कांग्रेस को झटका देते हुए भाजपा में शामिल हो गए। यह पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को एक लाइन का त्याग पत्र भेजकर कांग्रेस छोड़ने के कुछ सप्ताह बाद हुआ है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और पार्टी महासचिव अरुण सिंह ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई। जिसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि किरण कुमार रेड्डी के परिवार के कई सदस्य कांग्रेस में थे।
साथ ही कहा कि कुछ समय पहले जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने मुझे बताया कि वह पीएम मोदी से प्रभावित हैं। आज वह बड़ी छलांग लगाते हुए भाजपा में शामिल हुए हैं। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई को और मजबूत करेंगे, क्योंकि एक विधायक और मंत्री के रूप में उनकी छवि बहुत साफ रही है। आंध्र प्रदेश में भाजपा के लिए यह एक बड़ा बढ़ावा होगा।
वहीं किरण कुमार रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान के गलत फैसलों की वजह से राज्य दर राज्य पार्टी टूट रही, यह एक राज्य की बात नहीं। एक पुरानी कहानी है कि मेरा राजा बहुत बुद्धिमान है वह अपने आप नहीं सोचता और न ही किसी का सुझाव मानता है। आप सबको पता चल गया होगा कि मैं क्या कहना चाहता हूं।
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किरण कुमार ने 2014 में तत्कालीन यूपीए सरकार के आंध्र प्रदेश को विभाजित करने और तेलंगाना को अलग करने के फैसले के विरोध में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपनी पार्टी ‘जय समैक्य आंध्र’ बनाई और 2014 के चुनावों में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार भी उतारे, हालांकि, पूर्व सीएम 2018 में फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए।
इससे पहले वह लंबे समय तक राजनीति से दूर रहे। आंध्र प्रदेश का विभाजन कांग्रेस के लिए भारी कीमत पर हुआ – विभाजन के बाद पार्टी नेताओं का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ और तब से सबसे पुरानी पार्टी आंध्र प्रदेश में एक भी लोकसभा या विधानसभा सीट नहीं जीत पाई है। रेड्डी ने 25 नवंबर 2010 को आंध्र प्रदेश के 16वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। आंध्र प्रदेश में विधान सभा के चार बार सदस्य रहे हैं।