कोरोना केस बढ़ने के पीछे हो सकता है XBB.1.16 वेरिएंट पर घबराने की जरूरत नहीं: रणदीप गुलेरिया

डॉक्टर गुलेरिया

आरयू वेब टीम। देश में पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बढ़ते मामलों ने लोगों के साथ सरकार की चिंताएं बढ़ा दी है। तेजी से बढ़ते कोरोना मामलों के पीछे नया वैरिएंट है। इस वैरिएंट की वजह से देश में चार मीहने बाद कोरोना केस में बढोत्तरी हो गई है। इस संबंध एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वायरस का नया वेरिएंट एक्सबीबी.1.16 इस समय संक्रमण के मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हो सकता है, हालांकि इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे गंभीर बीमारी या जान का खतरा नहीं है।

डॉक्टर गुलेरिया से कहा कि नए वैरिएंट सामने आते रहेंगे, क्योंकि वायरस समय के साथ अपना रूप बदलता रहता है। उन्होंने बताया कि एक्सबीबी 1.16 एक तरह से ‘समूह का नया बच्चा’ है। उन्होंने कहा कि जब तक वायरस के इन वैरिएंट्स से गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति और मौत का खतरा नहीं, तब तक ठीक है। साथ ही ये भी बताया कि मामलों की संख्या में बढ़ोतरी देखा जा सकता है, लेकिन फिर हो सकता है कि यह सामने ही नहीं आएं, क्योंकि शुरू में लोग बहुत सतर्क थे और खुद जाकर जांच कराते थे। अब भले ही उनमें फ्लू जैसे लक्षण हों, ज्यादातर लोग जांच नहीं कराते हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग रैपिड एंटीजन जांच करा लेते हैं और संक्रमण की पुष्टि होने के बाद भी वे इसके बारे में नहीं बताते हैं। ऐसे में जो नंबर में रिपोर्ट कर रहे हैं वो वास्तविक संख्या से कम हो सकती है। वहीं डॉ. गुलेरिया ने कहा कि वायरस समय के साथ विकसित होता है, और यह कोरोना और इन्फ्लूएंजा दोनों के साथ होता है और इसे एंटीजेनिक बहाव कहा जाता है। उन्होंने बताया कि यह धीरे-धीरे विकसित होगा, थोड़ा अपना रूप बदलेगा और नए वैरिएंट सामने आएंगे।

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उन्होंने कहा कि अगर हम नजर डालें कि पिछले एक साल में क्या हुआ है, तो पता चलेगा कि हमें जो वैरिएंट मिले हैं वो मूल रूप से केवल ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट हैं। वायरस थोड़ा स्थिर हो गया है, यह उतनी तेजी से वैरिएंट नहीं बदल रहा है जितना अतीत में था। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि अस्पताल और सामुदायिक दोनों स्तरों पर सक्रिय निगरानी की जरूरत है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मामलों की संख्या और अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, ताकि से समय पर रोकथाम रणनीतियों और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू किया जा सके।

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