गोरखपुर पहुंचे सीएम योगी ने कहा, कोरोना कालखंड ने हमें चुनौतियों के साथ अवसर भी दिए

मोदी सरकार के बजट
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ/गोरखपुर। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ तीन दिन के दौरे पर गोरखपुर पहुंचे हैं। जहां योगी ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 51 वीं पुण्‍यतिथि के मौके पर गोरखनाथ मंदिर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना का मतलब सब कुछ बंद करना नहीं है। चुनौतियों से भागने से नहीं चुनौतियों के आगे चलने से सफलता मिलती है। उन्‍होंने कहा कि कोरोना कालखंड ने हमें चुनौतियों के साथ अवसर भी दिए हैं। तकनीक से आम आदमी के जीवन को आसान बनाया जा सकता है।

सीएम योगी ने कहा कि बीमारी का यह मतलब नहीं है हम सारे काम ठप कर दें। परिस्थितियों से हम लोगों को जूझना पड़ेगा। तकनीकी के माध्यम से बहुत सी चीजें बेहतर हो सकती हैं। तकनीकी के जरिये स्वास्थ्य सेवाएं भी बेहतर कार्य कर सकती हैं। साढ़े पांच महीने से बंद स्कूलों के बाद भी वर्चुअल क्लासेज से बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक को सस्ती सहज करने की जरूरत है।

मुख्‍यमंत्री ने आगे कहा कि कम खर्च में ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक लाभ पहुंचाया जा सकता है। सीएम ने कहा कि कोविड-19 की चुनौतियों के बीच कई संस्‍थाओं ने बड़े अच्छे प्रयास किए हैं। इसमें सभी को रुचि लेनी चाहिए। सीएम ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ ने अपने जीवन में सामाजिक समरसता का संदेश दिया। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए और के लिए आदर्श स्‍थापित करने की कोशिश करनी चाहिए।

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इस दौरान योगी ने कोरोना संकट के बीच गरीबों तक अनाज और अन्‍य सुविधाएं पहुंचाए जाने और खाते में सीधी मदद का उल्‍लेख करते करते हुए तकनीक के बढ़ते महत्‍व के बारे में विस्‍तार से बात की। सीएम ने कहा कि कोरोना काल में कोविड-19 हॉस्पिटल तो कोरोना का इलाज  कर रहे हैं लेकिन नॉन कोविड हॉस्पिटलों में भी लोगों को कोरोना से बचाने के उपाय करने चाहिए। ये अस्‍पताल नएपन के साथ बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

वहीं शिक्षण संस्‍थाओं से आह्वान करते हुए उन्‍होंने कहा कि कोरोना का मतलब शिक्षण संस्‍थाओं को बंद करके बैठ जाना नहीं है। वहां नियमित साफ-सफाई होनी चाहिए। प्रयोगशालाओं का रखरखाव, भवनों की मरम्‍मत की जानी चाहिए। ताकि जब छह -सात महीने बाद बच्‍चे आएं  तो उन्‍हें अपना स्‍कूल-कालेज बदला-बदला सा लगे। सीएम ने महराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्‍थाओं से स्‍वमूल्‍यांकन की अपील की उन्‍होंने कहा कि ईमानदारी से इस पर विचार करना चाहिए कि हम जिन लक्ष्‍यों को लेकर चलते उस दिशा में कहां तक पहुंचे।

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