आरयू वेब टीम।
नौ हजार करोड़ के बैंक लोन घोटाले में फरार चल रहे शराब कारोबारी विजय माल्या ‘भगोड़ा’ आर्थिक अपराधी घोषित हो गया है। शनिवार को विशेष पीएमएलए अदालत ने यह फैसला सुनाया। इसी के साथ अब सरकार को माल्या की संपत्ति जब्त करने का भी अधिकार मिल गया है। इसके लिए प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट में याचिका दखिल की थी। कोर्ट ने 26 दिसंबर 2018 को फैसला पांच जनवरी तक के लिए सुरक्षित रखा था।
वहीं विशेष अदालत ने माल्या की उस अर्जी को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपील करने के लिए कुछ समय की मांग करते हुए अपने आदेश पर स्टे लगाने की मांग की थी। साथ ही माल्या ने पहले प्रिवेंशन मनी लॉन्ड्र एक्ट (पीएमएलए) अदालत को बताया था कि वह भगोड़ा आर्थिक अपराधी नहीं है, उसने यह भी कहा था कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल नहीं है।
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बता दें कि माल्या को ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम-2018’ के तहत भगोड़ा घोषित करने संबंधी याचिका पर विशेष अदालत में केस चल था। प्रवर्तन निदेशालय ने इस संबंध में मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट द्वारा भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के बाद ईडी को माल्या की संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार मिल गया है।
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वहीं माल्या ने अपने वकील अमित देसाई के जरिये याचिका को निरस्त करने की मांग की और से कहा गया था कि नया कानून कठोर है। देसाई ने ईडी के उस दावे का विरोध किया, जिसमें कहा गया था कि शराब कारोबारी मार्च 2016 में एक सम्मेलन में शामिल होने के बहाने सामान से भरे 300 बैग के साथ जेनेवा चला गया था। वास्तव में वह सम्मेलन के बहाने देश से भाग गया था।
मालूम हो कि माल्या इन दिनों ब्रिटेन में है। 62 वर्षीय कारोबारी पर मनी लांड्रिंग का भी आरोप है। लंदन की एक कोर्ट ने उसके भारत के समक्ष प्रत्यार्पण का आदेश भी दिया है।
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