आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश आने वाले समय में डिफेंस सेक्टर के सबसे बड़े हब के रूप में विकसित होने वाला है। ऐसे में नए दशक के इस पहले डिफेंस एक्सपो का यहां होना, अपने आप में प्रसन्नता का विषय है। इस बार का एक्सपो भारत का सबसे बड़ा एक्सपो है, जो कि ऐतिहासिक है। इस बार 1000 से ज्यादा डिफेंस मैन्युफैक्चर इसका हिस्सा बनी हैं और और दुनियाभर से 150 कंपनियां इस एक्स्पो का हिस्सा हैं। अनेक देशों के मंत्री और व्यापारी हमारे बीच हैं। इसके जरिए भारत के युवाओं को मेक इन इंडिया में योगदान करने का अवसर मिलेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर बनेंगे।
उक्त बातें बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डिफेंस एक्सपो का उद्घाटन कर डिफेंस एक्सपो में आए लोगों को संबोधित करते हुए कही। साथ ही पीएम ने कहा कि यहां पर आना मेरे लिए दोहरी खुशी है, क्योंकि मैं बतौर प्रधानमंत्री और बतौर सांसद आपका यहां पर स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया में 21वीं सदी की अगुवाई कर रहा है। इससे भारत की विशाल, व्यापकता और विविधता का जीता जागता सबूत है।
भारत पूरे विश्व के लिए एक अपार अवसर
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का ये डिफेंस एक्सपो भारत की विशालता, उसकी व्यापकता, उसकी विविधता और विश्व में उसकी विस्तृत भागीदारी का सबूत है। रक्षा और इकॉनोमी जैसे विषयों की जानकारी रखने वाले जरूर इस बात को जानते हैं कि भारत सिर्फ एक बाजार ही नहीं है। भारत पूरे विश्व के लिए एक अपार अवसर है। टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल हो और टेररिज्म हो या फिर साइबर खतरा, ये पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। नए सुरक्षा चुनौतियां को देखते हुए दुनिया की तमाम डिफेंस फोर्सेस, नई टेक्नोंलॉजी को इवॉल्व कर रही हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं।
…पांच बिलियन डॉलर
टेक्नोलॉजी पर प्रधानमंत्री ने कहा कि तोपखाने की बंदूकें हों, एयरक्राफ्ट कैरियर, फ्रिगेट्स हो, सबमरीन हो, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट हो, ऐसे अनेक साजो-सामान आज भारत में ही बन रहे हैं। अब हमारा लक्ष्य ये है कि आने वाले पांच वर्ष में डिफेंस एक्सपोर्ट को, पांच बिलियन डॉलर, यानि करीब 35 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ाया जाए।
उन्होंने कहा कि दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी, दुनिया की दूसरी बड़ी सेना और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, कब तक सिर्फ और सिर्फ इमपोर्ट के भरोसे रह सकता था। पीएम ने कहा कि आधुनिक शस्त्रों के विकास के लिए दो प्रमुख आवश्यकताएं हैं- रिसर्च एंड डेवलप्मेंट की उच्च क्षमता और उन शस्त्रों का उत्पादन। बीते पांच-छह वर्षों में हमारी सरकार ने इसे अपनी राष्ट्रनीति का प्रमुख अंग बनाया है।
उपयोगकर्ता-उत्पादक के बीच भागीदारी से राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाया जा सकता है शक्तिशाली
साथ ही मोदी ने कहा कि मैं समझता हूं कि उपयोगकर्ता और उत्पादक के बीच भागीदारी से राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक शक्तिशाली बनाया जा सकता। पहले डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग में प्राइवेट सेक्टर को टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत समस्याएं आती थीं। इसके लिए अब रास्ते खोले गए हैं और डीआरडीओ में भारतीय उद्योगों के लिए बिना चार्ज के ट्रांसफर टैक्नोंलॉजी की नीति बनायी गई है।
वर्ल्ड स्पलाई चेन में बढ़ेगी भारतीय उद्योगों की भागीदारी
उन्होंने कहा कि ऐसे कदमों से वर्ल्ड स्पलाई चेन में भारतीय उद्योगों की भागीदारी बढ़ेगी। दुनिया के टॉप डिफेंस मैन्युफेक्चर्रस को अधिक कंपिटेंट इंडियन पार्टर्नर्स मिलेंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के बनने से डिमांड और मैन्यूफैक्चरिंग की प्रक्रिया और आसान होने वाली है। इसका निश्चित लाभ डिफेंस सेक्टर्स से जुड़े उद्योगों को होगा और इस सेक्टर में इंवेस्ट करने के इच्छुक आप सभी इंवेस्टर्स को होगा।
दो बड़े डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग कॉरिडोर का किया जा रहा निर्माण
इतना ही नहीं पीएम ने कहा कि आज भारत में दो बड़े डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें से एक तमिलनाडु में और दूसरा यहीं उत्तर प्रदेश में हो रहा है। मोदी ने कहा कि यूपी के डिफेंस कॉरिडोर के तहत यहां लखनऊ के अलावा अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट और कानपुर में नोड्स स्थापित किए जाएंगे। वैसे यहां पास में ही अमेठी के कोरबा में इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के बारे में आपने जरूर सुना होगा।
200 नए रक्षा स्टार्ट-अप शुरू करने का रखा गया है लक्ष्य
उन्होंने कहा कि भारत में डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग को और गति देने के लिए, और विस्तार देने के लिए नए लक्ष्य, नए टारगेट रखे गए हैं। हमारा लक्ष्य रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एमएसएमई की संख्या को अगले पांच वर्षों में 15 हजार के पार पहुंचाना है। आई-डेक्स के आइडीआ को विस्तार देने के लिए, इसको स्केल अप करने के लिए 200 नए रक्षा स्टार्ट-अप शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। कोशिश ये है कि कम से कम 50 नई टेक्नोलॉजीस और प्रोडक्टस का विकास हो सके।
आउटर स्पेस में भारत की उपस्थिति, पहले से ही मजबूत
पीएम ने कहा कि वैसे मेरा ये भी सुझाव है कि देश की प्रमुख इंडस्ट्री बॉडीज को डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग का एक कॉमन प्लेटफॉर्म बनाना चाहिए जिससे वो रक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के विकास और उत्पादन, दोनों का लाभ उठा सकें। आउटर स्पेस में भारत की उपस्थिति, पहले से ही मजबूत है और आने वाले वर्षों में ये और सशक्त होने वाली है। भारत की स्पेस टेक्नॉलॉजी 130 करोड़ भारतीयों को गवर्नेंस से लेकर स्कियोरिटी तक में अहम भूमिका निभा रही है।
… डिफेंस की दीवार खड़ी कर रहा
पीएम मोदी ने कहा कि मुझे गर्व है कि इस मामले में भारत ने स्वदेशी तकनीक का विकास किया है। आज इसरो भारत के लिए, पूरी दुनिया के लिए, आउटर स्पेस को एक्सपलोर कर रहा है, तो भारत का डीआरडीओ इन संपत्ति को गलत ताकतों से बचाने के लिए डिफेंस की दीवार खड़ी कर रहा है।
भारतीय सैनिक संयुक्त राष्ट्र शांति-सेना
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज से नहीं बल्कि हमेशा से विश्व शांति का भरोसेमंद पार्टनर रहा है। दो वर्ल्ड वॉर में हमारा डायरेक्ट स्टेक ना होते हुए भी भारत के लाखों जवान शहीद हुए। आज दुनियाभर में छह हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक संयुक्त राष्ट्र शांति-सेना को बनाए रखना का हिस्सा हैं। भारत में डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग में असीमित संभावनाएं हैं। यहां टैलेंट है और टेक्नोलॉजी भी है, यहां इनोवेशन है और इंफ्रास्टक्चर भी है, यहां अनुकूल नीति है और विदेशी निवेश की सुरक्षा भी है। यहां मांग है, लोकतंत्र है और निर्णय भी है।