दिल्ली के हिस्से का पानी रोक रहा हरियाणा: आतिशी

आतिशी

आरयू वेब टीम। राजधानी दिल्ली में चल रहे जल संकट के बीच आम आदमी पार्टी (आप) की मंत्री आतिशी ने शनिवार को दावा किया कि पड़ोसी राज्य हरियाणा दिल्ली के हिस्से का पानी रोक रहा है। आतिशी ने कहा, कि “एक तरफ सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में जल संकट को सुलझाने की कोशिश कर रहा और हिमाचल प्रदेश दिल्ली को और पानी देने के लिए तैयार है। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा दिल्ली के हिस्से का पानी रोक रहा है।”

“हरियाणा, दिल्ली और पूरे ऊपरी यमुना क्षेत्र के बीच पानी को लेकर हुए समझौते के तहत मुनक नहर के जरिए 1050 क्यूसेक पानी दिल्ली आता है। मुनक नहर की दो उप-नहरें यहां पानी पहुंचाती हैं। यहां लगे फ्लो मीटर से इसकी माप होती है। पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो हरियाणा द्वारा छोड़े गए 1050 क्यूसेक पानी में से 1000 से 980 क्यूसेक पानी दिल्ली पहुंचता है, लेकिन पिछले पांच दिनों से पानी की यह मात्रा लगातार कम होती जा रही है। दिल्ली में कम से कम 1,000 क्यूसेक पानी पहुंचना चाहिए, लेकिन एक जून से इसमें बहुत कमी आई है। सात जून को दिल्ली में केवल 840 क्यूसेक पानी पहुंचा।”

आतिशी ने कहा कि अगर दिल्ली के सभी सात ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी की आपूर्ति नहीं हुई तो पूरे शहर में “अराजकता” होगी। “दिल्ली को इतना कम पानी मिलने का असर सभी सात वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बवाना, नांगलोई, हैदरपुर, वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला पर पड़ेगा। अगर सभी सात ट्रीटमेंट प्लांट में पानी की आपूर्ति नहीं की गई तो पूरी दिल्ली में अराजकता होगी। अभी तक दिल्ली के कुछ ही हिस्से पानी से प्रभावित हैं, आने वाले दिनों में यह समस्या पूरी दिल्ली में देखने को मिलेगी।

यह भी पढ़ें- दिल्ली जलसंकट पर सुप्रीम कोर्ट का हिमाचल प्रदेश को आदेश, यमुना में तुरंत छोड़ें 137 क्यूसेक पानी

आप मंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “हम दिल्ली में पानी के प्रवेश बिंदु पर खड़े हैं। यहां का फ्लो मीटर दिखा रहा है कि कल पानी में भारी कमी आई थी। हरियाणा सरकार को यह बताना चाहिए कि अगर उन्होंने सारा पानी छोड़ दिया तो पानी कहां गया? 1050 क्यूसेक पानी में से कम से कम 1000 क्यूसेक पानी तो आना ही चाहिए था। 100-150 क्यूसेक पानी गायब नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि हरियाणा सरकार कम पानी छोड़ रही है और जानबूझकर दिल्ली के लोगों को परेशान करने की कोशिश कर रही है। यह सुप्रीम कोर्ट का भी अपमान है।”

यह भी पढ़ें- दिल्ली जल संकट पर AAP सरकार ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, याचिका में रखी ये मांग