आरयू वेब टीम। दिल्ली के मुंडका में मेट्रो स्टेशन के पास में एक इमारत में शुक्रवार को भीषण आग लग गई। आग इतनी भयानक लगी कि उसमें 27 लोगों की जलकर मौत हो गई और कई घायल हो गए। जिस इमारत में आग लगी वो चार मंजिला है, जिसका उपयोग व्यावसायिक रूप से कंपनियों को कार्यालय स्थान प्रदान करने के लिए किया जाता था।
आग की घटना इमारत की पहली मंजिल में शाम चार बजे लगी, जो एक सीसीटीवी कैमरों और राउटर निर्माण/असेंबलिंग कंपनी का कार्यालय है, जिसके बाद आग ने देखते ही देखते पूरी इमारत को अपनी गिरफ्त में ले लिया। आग की जानकारी मिलने के बाद दमकल विभाग मौके पर पहुंचा और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। करीब सात घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन में देर रात तक 27 लोगों के शव जली अवस्था में बरामद किए गए और कई लोग घायल हालात में अस्पताल पहुंचाए गए।
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इस कंपनी में ज्यादातर महिला कर्मचारी काम करती थीं। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो जिस वक्त आग लगी उसके बाद शीशा तोड़ के काफी सारे लोग जान बचाने के लिए ऊपर से कूद गए थे, जिनको नजदीकी संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया। कई लोगों को आस-पास की दुकानों, मकानों के लोगों ने किसी तरह बचाया पर ज्यादातर लोग जो थे वह अंदर ही फंस गए।
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जिस बिल्डिंग में आग लगी वो सरकारी तंत्र के बदहाल सिस्टम और भ्रष्टाचार की गवाही दे रही है। करीब आठ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू तो पा लिया गया, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस बिल्डिंग में बिना एनओसी धड़ल्ले से कंपनी चलती रही और प्रशासन आंखें मूंदकर बैठा रहा। हर बार की तरह इस बार भी हादसे के बाद सरकार को पता चला कि बिल्डिंग की एनओसी नहीं है।
बिल्डिंग से निकलने के लिए लोगों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था, जिस वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पुलिस ने कंपनी के मालिक गोयल बंधुओं पर शिकंजा कस लिया है और उनको गिरफ्त में लेकर पूछताछ में जुटी है, लेकिन सवाल ये है कि बार-बार मुंडका जैसी आगजनी के बाद भी सरकार और प्रशासन सबक क्यों नहीं लेता है।