धीमी हुई भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार, 8.4 से कम होकर 6.3 फीसदी तक पहुंची GDP ग्रोथ रेट

भारतीय अर्थव्यवस्था

आरयू वेब टीम। मोदी सरकार ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर 2022 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी कर दिए हैं। बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में आठ प्रमुख सेक्टर्स के उत्पादन में वृद्धि दर घटकर 0.1 फीसदी रह गई, जो पिछले साल इसी महीने में 8.7 फीसदी थी।

सितंबर में कोर सेक्टर्स की आउटपुट ग्रोथ 7.8 फीसदी रही थी। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान आठ इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर्स- कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली की उत्पादन वृद्धि 8.2 फीसदी रही।

जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.3 फीसदी रही है। इससे पिछली तिमाही (Q1 FY23) में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 13.5 फीसदी रही थी, जबकि पिछले वित्त वर्ष की जुलाई से सितंबर तिमाही के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 8.4 फीसदी रही थी। यानी दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में कमी आई।

2022-23 की दूसरी तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी 38.17 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 2021-22 की दूसरी तिमाही में यह 35.89 लाख करोड़ रुपये थी, जो Q2 2021-22 में 8.4 फीसदी की तुलना में 6.3 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। इस महीने की शुरुआत में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में, इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.1 फीसदी से 6.3 फीसदी आंकी गई थी।

रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद में 6.5 फीसदी की वृद्धि होने की संभावना जताई गई थी, जबकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) ने अपनी रिपोर्ट में जुलाई से सितंबर की तिमाही के लिए विकास दर 5.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। मालूम हो कि चीन ने जुलाई से सितंबर 2022 में 3.9 फीसदी की आर्थिक विकास दर दर्ज की है।

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अप्रैल से अक्टूबर के दौरान राजकोषीय घाटा बढ़कर 7.58 लाख करोड़ रुपये हो गया है। सरकारी आंकड़ों से पता चला कि देश के फिस्कल डेफिसिट में बढ़ोतरी हुई है। उल्लेखनीय है कि फिस्कल डेफिसिट सरकार के व्यय और राजस्व के बीच का अंतर होता है। अप्रैल- अक्टूबर में रेवेन्यू गैप 3.13 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.84 लाख करोड़ रुपये हो गया। टैक्स रेवेन्यू की बात करें, तो यह 13.64 लाख करोड़ से 16.09 लाख करोड़ तक पहुंच गया। इसके अलावा इस अवधि के दौरान कैपेक्स में भी तेजी आई।

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