आरयू ब्यूरो, लखनऊ। हाथरस हैवानियत कांड के आरोपितों द्वारा एसपी हाथरस को पत्र लिखकर खुद को बेगुनाह और परिजनों को दोषी बताए जाने को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। गुरुवार को दलित युवती के परिवार से मिलने पहुंची मामले की वकील सीमा कुशवाहा ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि देश में आरोपित कब से चिट्ठी लिखने लगे।
सीमा कुशवाहा ने हाथरस के कथित गैंगरेप केस में पीड़िता की ओर से नि:शुल्क मुकदमा लड़ने का एलान किया है। उन्होंने कहा कि परिवार ने उन्हें जो कुछ बताया है उस आधार पर वह सबसे पहले कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करेंगी।
वहीं कॉल डिटेल और आरोपित की चिट्ठी में संदीप और पीड़िता के बीच दोस्ती की बात को खारिज करते हुए वकील सीमा कुशवाहा ने पूछा कि क्या किसी से जान-पहचान और परिचय होने से हत्या की छूट मिल जाती है। उन्होंने कहा कि उन्होंने काल डिटेल रिकार्ड (सीडीआर) नहीं देखा, लेकिन यदि बातचीत हुई भी है तो इससे हत्या को कौन जायज ठहरा सकता है। उन्होंने कहा कि इस घटना से ध्यान भटकाने के लिए तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आरोपित जेल से चिट्ठियां नहीं लिखते।
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साथ ही परिवार की वकील ने कहा कि, पीड़ित को अपनी बात कहने का अधिकार है। शिकायत दर्ज करने और न्याय पाने का अधिकार है। आरोपित को कोर्ट में अपनी बात रखने का अधिकार है।
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उन्होंने कहा कि वह न्याय के लिए लड़ रही हैं। जो दोषी है उसे सजा मिलनी चाहिए और जो निर्दोष हो उसे छूटना चाहिए। सीमा कुशवाहा दिल्ली के निर्भया केस में निर्भया की वकील थीं। उस केस में आरोपियों की ओर से मुकदमा लड़ने वाले वकील ए.पी.सिंह द्वारा इस केस में भी आरोपितों की ओर से खड़े होने के एलान पर सीमा कुशवाहा ने कहा कि कोर्ट में वे अपनी बात रखेंगे और हम अपनी बात।
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इसके अलावा सीमा कुशवाहा ने सीबीआइ जांच के सवाल पर कहा कि इस मामले की जांच एसआइटी कर रही, जिसमें महिला और दलित अधिकारी भी हैं। परिवार को इस पर भरोसा भी है। परिवार यदि कोर्ट की निगरानी में जांच चाहता है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि पीड़िता के परिवार को 12 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने पेश होना है। उस दौरान वह भी वहां मौजूद रहेंगी।