योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, “क्‍यों आधी रात जलाया हाथरस पीड़िता का शव, बाबरी केस, कोरोना और भीम आर्मी का भी किया जिक्र”

क्‍यों जलाया आधी रात शव

आरयू वेब टीम। हाथरस हैवानियत कांड और उसके बाद 19 वर्षीय दलित युवती के शव को आधी रात में जलाने और पुलिस प्रशासन के रवैये को लेकर जहां यूपी समेत देश भर में हंगामा मचा है। वहीं मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची योगी सरकार ने हलफनामा दायर का तर्क दिया है कि अखिरकार उसने आधी रात में पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार करने का निर्णय क्यों लिया। साथ ही सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपे जाने और अदालत द्वारा इसकी निगरानी किए जाने की भी सुप्रीम कोर्ट से आज मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में योगी सरकार ने कहा है हिंसा से बचने के लिए परिवार की मर्जी के साथ आधी रात करीब 2.30 बजे पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया गया था। साथ ही यूपी सरकार ने बाबरी मस्जिद केस, कोरोना के संक्रमण और भीम आर्मी का भी अपने हलफनामे में जिक्र किया है।

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यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि कानून-व्यवस्था कायम रखने और हिंसा से बचने के लिए रात में पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया गया। यूपी सरकार के इस हलफनामे में राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों को जाति विभाजन के प्रयास के लिए दोषी ठहराया गया है।

यूपी सरकार ने अपने हलफनामे के प्वाइंट नंबर दस में बताया है कि और किन वजहों से रात में ही पीड़िता का अंतिम संस्कार किया। हलफनामे के मुताबिक, रात के ढाई बजे पीड़िता के शव को जलाने के संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार ने बाबरी मस्जिद केस की वजह से जिलों को हाई अलर्ट पर रखने और कोरोना की वजह से भीड़ न इकट्ठा होने देने का भी जिक्र किया है।

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इसमें कहा गया है कि अयोध्या-बाबरी केस में फैसले की संवेदनशीलता और कोरोना प्रोटोकॉल के मद्देनजर परिवार की मर्जी से पीड़िता का रात 2.30 बजे अंतिम संस्कार किया गया। पीड़िता का शव रात साढ़े नौ बजे दिल्ली से चला और रात 12.45 बजे हाथरस गांव पहुंचा। इस दौरान पुलिस के साथ-साथ पीड़िता के पिता और भाई भी मौजूद थे।

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साथ ही भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और उनके सदस्य बड़ी संख्या में रास्ते में जमा थे और एंबुलेंस को निकालने में पुलिस को बाधा पहुंचा रहे थे। जब पीड़िता का शव पहुंचा तो वहां करीब 200-250 लोग मौजूद थे और पुलिस भीड़ को नियंत्रित कर रही थी। उन लोगों ने एंबुलेंस को रोक दिया और पीड़िता का अंतिम संस्कार से रोकने के लिए घेराव किया। शव 2.30 तक परिवार के साथ था।

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यूपी सरकार ने यह भी कहा कि हाथरस प्रशासन को 29 सितंबर से ही ऐसे कई इंटेलीजेंस इनपुट मिले थे कि सफदरजंग अस्पताल के बाहर धरना प्रदर्शन हुआ है और इस मामले को राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हो रही है।

वहीं 29 सितंबर की रात में ऐसी सूचना मिली कि दोनों समुदाय के लाखों लोग 30 सितंबर की सुबह में गांव में इकट्ठा होंगे। इससे हिंसा की संभावना बढ़ जाती और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाती।

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इसके अलावा, अपने हलफनामे में यूपी सरकार ने कहा कि बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई की वजह से जिलों को हाई अलर्ट पर रख गया था। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए परिवार की मर्जी से रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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बता दें कि हाथरस जिले के एक गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित लड़की से चार लड़कों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था। इस लड़की की बाद में 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। मौत के बाद आनन-फानन में पुलिस ने रात में अंतिम संस्कार कर दिया था, जिसके बाद काफी बवाल हुआ।

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