आरयू वेब टीम।
अब सात मुस्लिम देश के नागरिक अमेरिका में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। इन देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिक के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक शासकीय आदेश पर साइन किया है। आदेश की जद में ईरान, ईराक, यमन, सोमालिया, सीरिया, सूडान व लीबिया शामिल हैं।
शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर करने बाद राष्ट्रपति ने इसका मुख्य उददेश्य बताते हुए कहा कि इससे हम शरणार्थियों के प्रवाह को सीमित करने और चरमपंथी इस्लामी आतंकियों को अमेरिका से बाहर रखने के साथ ही सघन जांच के नए नियम स्थापित कर रहेे हैं। हम उन्हें यहां देखना नहीं चाहते।”
ट्रंप ने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम उन खतरों को अपने देश में न आने दें, जिनसे हमारे सैनिक विदेशों में लड़ रहे हैं। हम सिर्फ उन्हीं को अपने देश में आने देना चाहते हैं, जो हमारे देश को सहयोग देंगे और हमारी जनता से गहरा प्रेम करेंगे।’’
इस दौरान रक्षामंत्री जनरल जेम्स मैटिस और उपराष्ट्रपति माइक पेंस के साथ खड़े ट्रंप का कहना था कि ‘‘हम 9:11 के सबक को और पेंटागन में शहीद हुए नायकों को कभी नहीं भूलेंगे। वे हममें से सर्वश्रेष्ठ थे। हम उनका सम्मान सिर्फ अपने शब्दों से ही नहीं, बल्कि हमारे कार्यों से भी करेंगे। आज हम वही कर रहे हैं।
‘‘ट्रंप ने कहा है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और सऊदी अरब उन देशों में शामिल नहीं है, जिनके नागरिकों को अमेरिका आने के लिए वीजा प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा। लेकिन इन देशों के नागरिकों को कड़ी जांच प्रणाली का सामना करना पड़ेगा।
हस्ताक्षर किए गए आदेश में सभी देशों के शरणार्थियों के आने पर लगभग 120 दिनों तक रोक लगाई गई है। वहीं यह आदेश सीरियाई शरणार्थियों के लिए अनिश्चितकालीन है।
यह आदेश राज्यों और मोहल्लो को यह क्षमता और अधिकार देता है कि वह अपने क्षेत्र में शरणार्थियों बसने से रोकें और कुछ निश्चित मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के प्रवेश को भी निलंबित करता है।
वहीं राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम से दक्षिण एशिया के वकीलों की शीर्ष इकाई ने शासकीय आदेश की घोर निंदा करते हुए उत्तरी अमेरिका के दक्षिण एशियाई बार एसोसिएशन (एसएबीए) और राष्ट्रीय एशियाई प्रशांत अमेरिकी बार एसोसिएशन (एनएपीएबीए) ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि यह आदेश इस गुमराह विचार पर आधारित हैं कि कुछ निश्चित जातीय जनसंख्या का झुकाव हिंसा की तरफ होता है।
यह आदेश अमेरिकी मूल्यों के विपरीत है और हमारे समुदाय को न तो ज्यादा सुरक्षित बनाएंगे और न ही अमेरिका को मजबूत करेंगे।
काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन ने घोषणा की है कि वह 20 से ज्यादा लोगों की ओर से ट्रंप की हस्ताक्षरित शासकीय आदेश मुस्लिम प्रतिबंध को चुनौती देते हुए संघीय मुकदमा दायर करेगी।